कुछ तो तू भी समझौते कर मुझ से ए ज़िन्दगी,
मैं अपने लिए तो अभी जिया ही नही थोड़ा भी!-
दोस्ती तो बच्चे ही
कर सकते हैं
बड़े तो समझौते और
सौदेबाज़ी करते हैं-
" हम दोनों एक हैं? "
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सिर्फ़ अधिकार है तुमपर मेरा
या फिर हम दोंनो "एक" हैं..?
'प्रेम' सर्वोपरि है मध्य हमारे
या अधिक महत्वपूर्ण हमारे भेद हैं?
साथ सिर्फ मेरा आवश्यक है
या अधिक मान्य जग की पुष्टि है?
कहते हो प्रेम परिबंधित नहीं
फिर भी क्यों हैं असंख्य समझौते?
दूरियां कारण हैं अलगाव की
या फिर हम सदैव "एक" हैं...-
सिलसिले शिकायतें ज़रा कम कर दियें हैं ,
बढ़ाना प्यार को इतना मुश्किल नहीं था ।-
सुनो ....
गर समझौते पर कोई किताब लिखों तो
मेरा नाम सबसे ऊपर लिख देना ....-
समझौते पर टिकी है इश्क़ की बुनियाद,
तुम्हें पाना मेरी मंज़िल नहीं।-
मेरी आँखों का बिखरा काजल आज नाराज़ है मुझसे, सवाल कर रहा है
क्यों मैंने इसके स्याह कणों से अपनी बेचैनियों के काले घेरे छुपा रखे हैं
और मैं ढीठ आईने की आड़ में ख्वाइशों की छोटी लाल बिंदी लगाती
कानों में तानों - उम्मीदों के झुमके डाले उलझनों पर इतरा रही हूँ
आज होंठो पर हाज़िरजवाबी की लाली नही है, मन थोड़ा शांत है
बालों को अच्छी तरह सुलझा कर आत्मविश्र्वास का जूड़ा बना लिया है
मेरे सपनों के धागे से बुनी पीली साड़ी सिलवटों के नखरे दिखा रही है और
माथे पर रिश्तों मर्यादाओं की ओढ़नी बड़ी शान से मुझ पर हुक्म जमा रही है
माँ दूर खड़ी कुछ सोचती, आँखों मे चमक लिए निहार रही है मुझे
जा रही हूँ पूछने कहीं समझौते की तैयारी में कुछ कमी न रह जाये-