अहिस्ता कीजिये कत्ल मेरे अरमानो का
कही सपनो से लोगो का ऐतबार ना उठ जाए-
खुद की कलम से खुद की
असली तस्वीर बनाना है,
ये खुदा तमन्ना बस इतनी,
सपनो को तस्वीर में
उतारना है ,-
ख्वाब
आंखों की हर श्वास में ख्वाब है
ख्वाब बादल है बादलों का झुरमुट
जो नींद भरी आंखों पर मंडराता है
कुछ नई पुरानी कहानियां दोहराता है
ख्वाब जैसे पानी का बुलबुला उड़ता कभी ठहरता
फिर अकस्मात यादों की बौछार कर जाता है
सपने फुदक फुदक न जाने कहां पहुंच जाते
जमी आसमान तो कभी स्वर्ग नर्क का तालमेल बिठाते
कभी प्रेम बिस्वास के बिछोने पर डूबते उतराते
कभी डर,रोमांच कभी मासूम हिरणों से चुमकारते
कही डग डग भर सौ सौ मील चलते अपने पर इतराते
कभी अलसुबह की सुहानी धूप से गुदगुदाते
सांस सांस में उन्मुक्तता सब कुछ पा लेने का असीम
आनंद तो साथ साथ खो और पा लेने की मिश्रित अनुभूति
दे जाते
सपनो में हम अचाहे लम्हों को जी लेते
जी भर गहरी उसांस भर लेते
वो पल भी सजीव लगते जो देखे न सुने अनचाहे ही
आंखो की कोरो से निकल हमे अपने बाहुपाश में ले लेते....
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हम अपने ही सपनो में,
पराये से हो गए है।
और लोग हमें उनका
आशिक़ समझ बैठे हैं।-
मेरी सपनो की उड़ान भी पूरी ना हो सकी
मेरे अपनों ने ही मेरी उम्मीदों के पंख काट दीये-
मीठी यादों में पगे हुये ,
मीठे सपनो से सजे हुये ।
वो फुलवारी सी दुनिया ,
अनगिनत ख़्वाब रंगों में रंगे हुये ।
वो देख तुम्हारा मुस्काना ,
मेरा वो तुमसे छुप जाना ।
वो चपला सी चंचल इच्छाऐं ,
बिन माँग सब पूरी होती जायें ।
वो खिलता सौभाग्य का उपवन ,
वो रात रानी सा महका जीवन ।
जब तुम ही मेरी धड़कन थे ,
वो क्या " कॉलेज" के दिन थे ।-
इस संसार में मेरा वजूद बस इतना ही रहा "माही"।
सूखी रेत सी जिन्दगी और महल सपनों के बनाता रहा।।-
उड़ जाऊंगी मुझे
वापस मेरे सपनो के पंरव चाहिए ।
मैं उड़ जाऊंगी
मुझको बस खुला आसमान चाहिए ।।
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--सपनों की उड़ान--
ताल्लुक नही रखते हम किसी के गुमान से,
शोहरत उनकी है तो वो ही रहे आराम से।
शौक रखते नही बड़े हम, सपनो की उड़ान से,
रौशनी जितनी भी घर में ,उससे ही होते हमारे काम आराम से।
कोई होड़ नही है हमें , अमीरों के मकान से,
हमें सीख मिलती है , अपने सपनो के टूटे सामान से।-
भरोसा जितना क़ीमती होता हैं ! ❣️
धोखा उतना ही महँगा हो जाता है ! ,❣️
है , ना 🕵️
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