मन की बात करते करते बीत जायेगा सत्र।
न विकास ही आनेवाला, न प्रेमिका का पत्र।
न मेरा, न देश का, सुधरने वाला है हाल
जाने क्या करना चाहें सारे ग्रह नक्षत्र।-
19 SEP 2020 AT 22:07
19 SEP 2020 AT 22:16
प्रभु की माया बताए कभी नक्षत्रों का खेल
आत्मनिर्भर बनो, ये तो हो गए फेल।-
19 SEP 2020 AT 23:52
एक तो नक्षत्रो का खेल ऊपर से ये ज़िन्दगी बेमेल
साथ रहना घर मे हो गया मुश्किल घर तो बन गया जेल-
2 JUN 2024 AT 9:02
एक चित्र अपने जहन ने तेरा ऐसा खींचा
जैसे सर्वत्र किसी ने तुझे छाप दिया
एक पत्र की अपेक्षा लिए दिन ऐसे कट रहे
हर सत्र जैसे पत्रवाहक के नाम कर दिया-