इस काली अंधेरी ज़िंदगी में रोशनी चाहिए महादेव
तेरी इबादत के लिए तेरी चरण रज चाहिए महादेव-
जो इस सृष्टि के कण-कण में व्याप्त हैं,
जो हर एक स्थल पर निवास करते हैं,
काशी जिनकी नगरी है,
और कैलाश जिनकी तपोभूमि,
उन महादेव के हम अनन्य भक्त हैं🙏🏻
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तुझसा न कभी कोई हुआ है,
न ही कभी होगा महादेव।
क्योंकि न तो तेरा आदि जानते हैं,
और न हम तेरा अंत जानते हैं।-
हे शिव..!! हे शंकर..!! हे नटराज..!!
प्रथम सोमवार सावन का आज
क्षमा याचना करता तुझसे
क्षमा तू मुझको करना
प्रार्थना स्वीकार कर मेरी
हाथ सदा ही सर पर रखना-
हैसियत की बात ना करना , मेरा शिव भक्त होना ही जमाने में राज करने को काफ़ी है।
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भीड़ में भी अगर कोई
शिव कहता है भोले,
तो नजरों के आगे मेरी ,
तेरी ही छवि सजीव हो जाती है 🙏🏻
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मिलना ही नहीं था तो,
मिलाया ही क्यों किस्मत ने।।
साथ रखना ही नहीं था तो,
साथ चलाया ही क्यों किस्मत ने।।
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।। दशानन राग ।।
मै सिर्फ अपने महाकाल से डरता हूँ
हाँ , मै रावण हु बचपन से अपने मन की करता हूँ
मुझे पाप का प्रतीक कहने वालों
तुम सब सच्चाई का मुकाम हो क्या
करते हो तुम मुझ रावण की बुराई
तुम खुद में राम हो क्या "
मुझे खुद पर अभिमान इतना
कि मै इस नारायण से भी नही डरा था
और तुम इंसान क्या मुकाबला करोगे मेरा
मैं युद्धभूमि में स्वयं नारायण से लड़ा था
एक भूल हुई थी मुझसे कि सीता को उठा लाया था
पर उस का क्या जिसने द्रोपदी को दाँव पर लगाया था
फिर भी धर्मराज कहलाया था
इस बार मुझे जलाने से पहले
खुद के भीतर के रावण को जला दो
और एक काम करो तुम पति राम से बन जाओ
भाई मुझ रावण से बन के दिखा दो
मै अपनी भक्ति से शिव तांडव मचा दूंगा
अहंकार ऐसा सारा ब्राह्मण हिला दूंगा
और मुझ रावण पर उँगली उठाने वालों
मुझसे दूर ही रहना क्योकि मे चहूं तो पल में
तुम जैसे रावणो को नाम ओ निशां मिटा दूंगा-
मैं शिव को पाने ले लिए अपने अश्रुओं से शिव की भक्ति को सीचता हूं,
वो दिखाई तो नहीं है मुझे लेकिन में हर क्षण उसकी प्रतीक्षा में बैठता हूं,
वो आता भी है पता नहीं किस रूप में ओर मेरे अश्रुओं से अपने चरणों को धोकर साधना मैं बैठ जाता है ओर मुझे ख़ुद का दास बनाए प्रसन्न रहता है।-
जिस समस्या का ना कोई उपाय...
उसका हल सिर्फ ...ॐ नमः शिवाय...!!
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