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27 MAY 2020 AT 7:45
लाख सुना हो तू ने की हम पत्थर दिल हैं सनम
घड़ी भर को आगोश में आने दे, पिघल जाएंगे-
23 SEP 2019 AT 21:40
यहां शाम-ओ-सहर अच्छा नहीं है
न राही, रहगुज़र अच्छा नहीं है ।
थी मजबूरियां जो घर को छोड़ आए
पता तो था शहर अच्छा नहीं है ।।-
29 MAY 2020 AT 11:32
मेरे अल्फ़ाज़ को पढ़कर वो
कुछ ऐंसे खामोश हुआ
लगता है जैंसे मेरी मौत
की खबर से अभी वाकिफ़ हुआ-
16 JUN 2020 AT 17:56
न जाने किस गुनाह की सजा दे दी
उसे लिखकर किसी ओर के नसीब में
मेरे खुदा ने ही मुझे मौत दे दी
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24 JUL 2020 AT 11:43
उसके बताए रास्ते पर अंजान बनकर बैठ गयी
बेवफ़ा था जो कमबख्त उसी के सामने
मैं वफ़ा की किताब खोलकर बैठ गयी-
11 AUG 2020 AT 12:30
भरी थी जेब तब गैर भी रोक रोक कर हाल
पूछते थे जो उजड़ गया पैसों का महल तो
अपने भी अब मौत की तारीख़ पूछते हैं-
19 JAN 2020 AT 20:30
खत तो बहुत लिखे उसके नाम पर
मगर कमबख्त उसका पता ही नहीं
था हमारे पास-
27 MAR 2019 AT 10:44
जहाँ में ढूंढ रहे हो तो इसे भूल कहो
फूल से लोग किताबों में मिला करते हैं ।-