उन सात वादों के साथ
मैं अपनी जिन्द़गी बिता रहा हूँ ,
पकड़ तेरी यादों का दामन
मैं फेरें लगा रहा हूँ |
हूँ कितना मजबूर
चेहरे पर चेहरा लगा रहा हूँ ,
पल-पल तुझे जाते देख
मैं तो मरते जा रहा हूँ |-
तेरे पूरे दिल से काफी हैं,
जो वादे किये थे ना तूने
कभी न छोड़कर जाने के,
हमेशा साथ निभाने के, आज
उनकी बस धुँधली याद ही बाकी हैं ।।-
उन झूठे वादों से
ज़रा परहेज़ है मुझे,
कुछ सूखे हुए फूल
अब भी मेरे किताबों में हैं।-
उसने कल मुझे कॉल किया और कहा , तुम्हारा लिखा हुआ पढ़कर मुझे तुमसे और ज्यादा नफरत हो रही है। फिर मैंने उसे जवाब में कहा तुमने मुझको छोड़ ही दिया है तो मेरे लिखे हुए को क्यू पढ़ रही हो ?
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फिर क़िस्मत ने जमकर मज़ाक उड़ाया उनका
कसमें-वादे लिए थे उन्होंने साथ जीने मरने के!-
𝚃𝚞𝚖 𝚋𝚎𝚠𝚊𝚏𝚊 𝚑𝚘 𝚌𝚑𝚞𝚔𝚒 𝚑𝚘.......
मुझ से किए वादे याद भी ना होंगे तुझे,
इतना तो बता रखीब से किए वादे कितने पूरे कर चुके हो,
अब तो दिल के साथ-साथ उम्मीद भी टूट चुकी है मेरी,
इतने गम दिए तुने मुझको की अब तुम हद पार कर चुके हो......-
क्या थे, और क्या से क्या हो गए
जालिम हमारे हमनवा हो गए
किस्से और वादे, सारे फना हो गए
कि जान-ए-वफ़ा, बेवफ़ा हो गए
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जैसे भी है वादे तेरे एतबार नहीं जाता
चली गई दूर भले तू पर प्यार नहीं जाता
तेरी आदतन से लगता है तू नहीं आने वाला
पर क्या करें तेरा इंतज़ार नहीं जाता-
देखा है फिरकापरस्ती को,
गलीचो में आदाब फरमाते
के अब किसी की ज़र्रानवाज़ी
पर अमूमन दिल नहीं बहकता।-