मनों उड़ते हुए पंछी पूछ रहें कि तुम कौन हो,
बड़ा गुरूर था इंसान होने पे फिर आज क्यूं मौन हो!
खाली पड़ी हैं शहर की सड़कें और बंद सारे दुकान,
राजनीतिक चिंतन से वंचित खड़े सारे मकान!
शांत है ये दुपहरिया और टिक टिक करती घड़ी है,
समय भी बता रही अजीब सी हथकड़ी है!-
लॉकडाउन ने यह तो बताया,
हर लड़के का बाप दहेज का भूखा नहीं होता है |
उसे भी बहु के रूप में बेटी चाहिए होती है,
तभी तो वह दहेज ना लेकर,
सिर्फ बहु के रूप में बेटी घर लाता है !!.....-
कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है
अस्पतालों में बुरा हाल हो रहा है
चुनावी रैलियों में प्रचार हो रहा है
मेरे देश मे ये क्या हो रहा है
लॉकडाउन का फैसला नही लिया जा रहा है
चुनावों को यहाँ अहम समझा जा रहा है
2% जीडीपी की गिरावट को लोगों की जिंदगी से मांपा जा रहा है
स्कूल तो बंद है मगर टीचर्स को बिना काम के बुलाया जा रहा है
मेरे देश मे ये क्या हो रहा है
कुंभ मेले का यहाँ लुत्फ उठाया जा रहा है
50 फीसदी उपस्थिति कागजों में दिखाकर
100 फीसदी स्टाफ को कार्यालयों में बुलाया जा रहा है
मेरे देश मे ये क्या हो रहा है
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इस मुश्किल समय में एक बात तो समझ आई |
कोई मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च हमारी मदद नहीं कर सकता है, इसलिए हम अपना धन इन स्थानों पर ना देकर अस्पताल बनाने में दे, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी को कभी भी इस भयानक परिस्थिति का सामना ना करना पड़े, क्योंकि इस मुश्किल समय में हमारी मदद केवल हॉस्पिटल और डाक्टरों कर रहें हैं ना कि यह मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारें|
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❝खुद को खोजने निकली हूँ ....
अब लॉकडाउन ख़त्म होने के बाद ही मिलती हूँ ❞-
👆LOCKDOWN 👆
एक ही बात कहेंगे।
किसी का हाथ🤝 छूना भी नहीं।।
ओर जनाब,,
किसी का हाथ 🤝छोड़ना 👏भी नहीं।।-
ऐंसा भी हो जाये मुझे नज़र से गिरा दे कोई
मेरे बुने सपनों को मिट्टी मे मिला दे कोई
जब भी आती है रूहानियत से मिला देती है
उसकी यादो पे भी लॉक डाउन लगा दे कोई ।
रूहानियत= अंतरात्मा-
संग चलो न प्रिय! आसाम की कड़क चाय पीने चलते है।
क्या पता, कोरोना के चलते कब लॉकडाउन लग जाए।।-
लॉकडाउन में एक शराब पीकर घूमने वाले एक
व्यक्ति को पुलिस पकड़कर ले गई। 300-400
लोगों की भीड़ भी उसके पीछे-पीछे थाने चली गई....
इतनी भारी भीड़ देखकर पुलिस ने उसको
कोई बड़ा प्रभावशाली व्यक्ति समझकर तुरन्त
छोड़कर गलती के लिए माफ़ी भी माँग ली।
थाने से बाहर निकलकर उसने सबको सहयोग
करने के लिये धन्यवाद दिया.. इतने में ही
भीड़ बोली.. भाड़ में गया तेरा धन्यवाद....
"तू तो बस ये बता कि मिल कहाँ रही है..?"-