ये ज़िंदगी तो बस अदब और लिहाज़े में ही
गुज़र ती जा रही हैं
गुस्ताखियां करने के लिए खुद को
मैंने इजाजत कहा दिई हैं-
मेरी ख़ामोशी में, तुम्हें सुकून ज़्यादा था
तुम्हारे दर्द का भी, बख़ूबी अंदाज़ा था
ज़ाहिर न हो कुछ, वक्त का तकाज़ा था
था तो कुछ ज़रुर, लिहाज़ा था-
🌾 रिश्ते एक किताब की तरह होती है,और
गलतियां किताब की सफे की तरह...!!!
🌾लिहाजा एक सफे के खातिर पूरे किताब
को मत गंवा देना...!!!
*_(सफा=पेज)_*
-
लोग़ सिर्फ़ भूख से ही नहीं
शर्म से भी मरते हैं,
लिहाजा मदद जरूर करें
लेक़िन शर्मिन्दा ना करें•••!!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏-
जीने का आता उन्हें अंदाज नहीं।
रिश्तों की करते जरा भी लिहाज नहीं।
शक के दीमक को कभी पलने न देना-
भ्रम या शक का कोई भी इलाज नहीं।
-
लिहाजा हम नहीं बदले कभी उनको बदलने में
जो काँटा न चुभा होता कभी पैदल चलने में
मेहरबानी है काँटे की जो उसने सबक सिखाया
वरना डर लग रहा था घर से भी निकलने में-
"लिहाजा क्या करूँ अब
हर शायरी तेरा नाम लिखने को कहती है
दिल को समझाऊं तो धड़कने तेरे नाम से चलती है..💔।।Ap
AMSINGH
,,मेरा इश्क़,,-
लिहाजा-ए-शराफत से जो बात करती है, क्या वाकई में वो दिल में मोहब्बत रखती है, हम दिल-ए- समुद्र लिए उसके पास रहते है, सुना हैं कमबख्त कुए का इंतजार करती है, ढूँढते है उसको शहर-शहर हर गली-गली, पता लगा कहीं से वो बी.काम फाइनल इअर में पढ़ती है, मिल जाये काश तो पुछ लेना दोस्तों, थोड़ी सी सपोर्ट-लुक उसकी थोड़ी सादगी,खुले हुए बालों में रहती है।❣❤✍
-