दुनिया बदल गई है
कहते है ये हम सभी
खुद के गिरेबाँ में
तो झांकते ही नही
तेवर बदल गए है
रिश्ते बदल गए है
आंखों में जो थे पलते
वो सपने बदल गए है
उम्र भी तो वो नही है
वो भी बदल गई है
होंठो पर हंसी भी
बदली बदली सजी है
रहना बदल गया है
खाना बदल गया है
मिलते जहां दोस्त अक्सर
वो ठिकाना बदल गया है
शौक़ भी तो है बदला
खुन भी है रंग बदला
कल जैसे हंस के थे मिलते
वो ढंग भी तो है बदला
हां सच है कि ये
दुनिया बदल गई है
उससे बड़ा सच है कि
संग अपने मुझे भी बदल गई है
रुपम बाजपेयी "रूप" ✍
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