कोई गाँठ खोल दो इन उलझे रिश्तों की
मेरी ज़िंदगी का, ये दम घोंट रही हैं-
रिश्तों में कभी जंग नहीं लगती
लेकिन जंग न लग जाये के डर से
बारिश में भीगना ही नहीं
वाली सोच से
रिश्ते धूल हो जाते है
दूर तक फैले रेगिस्तान की तरह
जहाँ फिर कुछ नहीं निपजता
फिर कितनी भी बारिश क्यूँ न हो
और
रिश्तों में पसरने लगती है
ख़ामोशी की नागफ़नी
जो बींध देती है
रिश्तों के होने के मानी-
रिश्ते
लोगों को अपने सपनों से प्यार है,
हमें तो बस अपनों से प्यार है।
टूटते बिखरते रहते हैं सपने यहाँ,
अपने बिखरे, तो सूना सारा संसार है।।
रिश्तों की अहमियत पहचानों,
स्वार्थ के लिए इन्हें कभी तोड़ो नहीं।
रिश्ते हमारे सुख दुख के साथी हैं,
बस स्वार्थ के लिए रिश्ते जोड़ो नहीं ।।
फ़रिश्ते बहुत कम हैं दुनियाँ में,
ज़रूरत पर यही रिश्ते काम आते हैं।
रिश्तों से हम बेरुख़ी नहीं करते,
रूठते हैं रिश्ते तो हम उन्हें मनाते हैं।।-
ताउम्र साथ निभाने की वो कसमे दो पल में टूट जाती है
मोहब्बत से बने इन रिश्तों में आखिर कमी कहाँ रह जाती है
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विश्वास ..
क्या वाक़ई कुछ होता है .. ??
नहीं .. !!
ये तो दरअसल .. हर रिश्ते की ..
सबसे मज़बूत .. और उतनी ही ..
कमज़ोर कड़ी है .. !!
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रिश्तों में जैसे ही गणित लगाओगे, मुंह की खाओगे!
रिश्तों में समीकरण का हल नहीं ढूंढना है
बल्कि, असमानताओं को संभाल कर संजोना है।
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कुछ रिश्ते जिस हाल में है उन्हें वैसे ही छोड़ देना बेहतर होता है
कभी कभी उन्हे ज्यादा संभालने में हम खुद भी बिखरने लग जाते है-