यूँ गफलत को वो अपनी चाहत कर गए
जो खुद राहत थे, करोड़ो को आहत कर गए-
एक पैगाम, राहत के नाम
ये जिंदगी सवाल थी जवाब मांगने लगे,
फ़रिश्ते आके ख्वाब में हिसाब मांगने लगे,
शायद ऊपर भी लोग इसकदर आहत थे,
लगे हाथ खुदा से राहत मांगने लगे।-
शाम ने जब पलकों पे आतिश-दान लिया
कुछ यादों ने चुटकी में लोबान लिया
दरवाज़ों ने अपनी आँखें नम कर लीं
दीवारों ने अपना सीना तान लिया
प्यास तो अपनी सात समुंदर जैसी थी
नाहक़ हम ने बारिश का एहसान लिया
मैं ने तलवों से बाँधी थी छाँव मगर
शायद मुझ को सूरज ने पहचान लिया
कितने सुख से धरती ओढ़ के सोए हैं
हम ने अपनी माँ का कहना मान लिया
-राहत इंदौरी-
Yun to Chashm unki Akshar Kmaal karti hai
Jab kabhi bhi milti hai Behad sawaal karti hai-
मोहब्बत से चमकता एक ताज खोया है।
शायरी की जान उर्दू का अल्फाज़ खोया है।
जिनकी जुबा से निकलती हो साहित्य ही गंगा...
आज हमने एक ऐसा कवि विद्वान खोया है।
-
कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं
रात के साथ गई बात मुझे होश नहीं
मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहाँ
थाम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहीं
आँसुओं और शराबों में गुजारी है हयात
मैं ने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं
जाने क्या टूटा है पैमाना कि दिल है मेरा
बिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं
#राहत_इंदौरी-
कि हादसा बनकर कोई ख़्वाब बिखर जाए तो क्या हो
वक़्त जज़्बात को तब्दील नहीं कर सकता
दूर हो जाने से एहसास नहीं मर सकता
ये मोहब्बत हैं दिलों का रिश्ता
ऐसा रिश्ता जो सरहदों में कभी तक़सीम नहीं हो सकता
तू किसी ओर की रातों का हसीं चाँद सही
मेरे हर रंग में शामिल तू हैं
तुझसे रोशन हैं मेरे ख़्वाब, मेरी उम्मीदें
तू किसी भी राह से गुज़रे
मेरी मंज़िल सिर्फ तू है
#राहत_इंदौरी-
अपना मयखाना बना सकते थे हम
इतना पैसा मयकशी में लग गया
ख़ुद से इतनी दूर जा निकले थे हम
एक ज़माना वापसी में लग गया
शराब दौड़ रही हैं रगों में ख़ून नहीं
मेरी निगाह में अब कोई अफ़लातून नहीं
क़सम ख़ुदा की बड़े तजुर्बे से कहता हूँ
ग़ुनाह करने में लज़्ज़त तो हैं सुकून नहीं
#राहत_इंदौरी-