न रार में है ,
, न करार में हैं
जो मज़ा तेरे इंतेज़ार में है
*रार :- झगड़ा *करार :- चैन-
धीर पुरुष कभी विफल ना होता
गुस्से से कभी हल नहीं होता
बात बढ़ेगी रार बढ़ेगी
दोनों में तकरार बढ़ेगी
आओ बैठो बात करो
यूं व्यर्थ ही बात बढ़ाओ मत
संकट भी हल हो जाएगा
बात बढ़ाओ मत......
(शेष अनुशीर्षक में देखें)-
"तुम्हारी मनुहार......पुकार, मेरे हृदय अट्टालिका पल गूँजती है ....राधिके।
रार भी तो तुम से ही होगी ,इस हठ से मुरली की धुन उपजती है....राधिके।।"-
बेबाक बातों पे बेवजह तक़रार होंगे ,,
जितना उलझोगे रिश्तों में उतने ही रार होंगे !!
*बेबाक :- ढीठ *रार :- घमासान झगड़ा-
है एक दूजे के हृदय में बसे ,कब हम तुम है जुदा राधे..
फिर भी मान अभिमान का तुम्हारा,है अनोखा ये खेल राधे...-
ना हार मानूँगा
अब मैं रार ठानूँगा
हर रोज मरने को तैयार हूँ मैं
जिन्दगी का हर एक पल इम्तिहान मानूँगा।-
रार राधा संग कैसे अब ठने
कॄष्ण मथुरा को गए योगी बने
रो पङे सब गोप,ग्वाले,गोपियां
श्याम बिन अब कौन फोङे मटकियां
माधवी श्रीवास्तव-
तुम पुकारो मुझे,,, और मैं ना आऊँ,, ऐसा हुआ है क्या कभी,,मेरी राधे!
इस मीठी रार में भी,, छुपा तेरा निश्छल प्यार,, नही भूलूंगा मैं कभी,, सुनो राधे!!✍️-