सुचि   (Suchi)
1.5k Followers · 285 Following

Joined 17 May 2021


Joined 17 May 2021
16 HOURS AGO

आज कुछ अलग अनुभूति हुई तुम्हें लेकर
जितना तुम बाहर नहीं दिखते उससे कहीं
ज्यादा भीतर की गहराई है तुममें,,, यूं तो
समझती थी कि मैं तुम्हें वर्षों से जानती हूं
पर आज लगा जैसे तुमको अभी जानना
बाकी रह गया,, मुझे अब समझ आया कि
लिखने के लिए पढ़ना जरूरी होता है,,और
मैंने आज तक कुछ ऐसा पढ़ा ही नहीं,,जो
मेरी जीवनधारा बदल दे,, और तुमने वो सब
पढ़ा और महसूस किया है जो मेरी कल्पना
से परे है,,अब तक तुम मेरे जीवन में कहां थे
मुझे नहीं पता,,पर खुद को तुम्हारे मन के एक
कोने में पाना मेरे लिए सबसे बड़ा सौभाग्य है
इसलिए,,, तुम्हारे चरणों को स्पर्श करना अब
मेरी आखिरी ख्वाहिश रहेगी.............✍️

-


16 JUN AT 15:37

जो मुझे याद करके अपने चंद लम्हे बर्बाद करते हैं,,
दिल कहता है कभी कभी,,चलो उन्हें इस तिलिस्म से आजाद करते हैं...✍️

-


10 JUN AT 13:59

अंदर से बिखरा हुआ इंसान,,,,
खुद को समेटने के
लिए मुस्कान का सहारा लेता है.....

फिर भी उसकी आंखों की गहराई,,,,
नाप लेने का हुनर
यहां पर किसी किसी को आता है.....

टटोलने पर दिल के एक कोने में,,,,
जाने कितनी ख्वाहिशें
अपने आखिरी पड़ाव पर होती हैं.....

और ऐसा नहीं है कि फिर से,,,
मन की टहनियों पर
कुछ कोमल भाव जन्म नहीं लेती हैं.....

पर बात अगर तवज्जों की आए,,,,
तो आज भी ये दिल
फिर से वही पुराने ख़्वाब संजोता है.....

करता गुस्ताखियां हर दफा मुझसे ही,,,,
सब जानकर भी समझता नहीं
इस नादान पर कहां किसका वश होता है.....✍️


-


9 JUN AT 13:53

कुछ रोज से उदास था हर लम्हा,,
....... अक्सर भींगी मिली कोरे.... समझ नहीं आया,,,
कहां गलती हो गई,,,, खुद के पहले,,,,
....... उनके बारे में सोचना,,,, यहां,,, या ये उम्मीद
रखना,,, कि कोई मेरे बारे में भी सोचे.....✍️

-


1 JUN AT 12:23

इक दफा ऐसा भी दौर था कि मनमर्जियां हावी थी इस कदर,,,
पर अब तुम तक आकर जैसे ठहर गया है मेरे शब्दों का सफर...✍️

-


30 MAY AT 14:09

इस तरह अपनी जिन्दगी को यूं धुएं में ना उड़ाओ।
ये बेशकीमती है, साहब!तुम अब भी सम्भल जाओ।।

-


29 MAY AT 12:49

मसला ये नहीं है कि,, तुम याद नहीं करते,,,,
मुद्दे की बात ये है,,, कि अब हम पुराने हो गए हैं...✍️

तुम्हें मुझसे गिला है,,, माना कि मेरी तरह ही,,,
इश्क वही है बस,, जताए हुए इक जमाने हो गए हैं...✍️

देखो ना,,अपने अपने जज्बातों को वश में करके,,,
अब हम दोनों ही,,,एक दूसरे को ही मिटाने लग गए हैं...✍️

कितनी पाबंद हो गई है ये जिन्दगी अपनी,,, साहब!!
इस जहां के,,,अब तौर तरीके चुपचाप निभाने लग गए हैं...✍️

-


28 MAY AT 13:41

अकसर सोचती हूं,,कहां है?? मेरे हिस्से का सारा
वक्त,,,जो हर दफा सुनती आई हूं कि,,, तुम्हारे लिए
तो मैं हमेशा फ्री हूं,,, ये कहना सहज है तुम्हारे लिए
पर,,, मेरे लिए अपने हिस्से का वक्त,,, शायद अब
बांटना अच्छा नहीं लगता,,, सोचती हूं कि मैं कह दूं
कि,,, तेरा ख्यालों में ही फिक्र कर ने का स्वाद अब
कसैला लगता है,,, सोचते होंगे हमेशा शिकायत के
लहजे में ही बात करती हूं... मुझे तुमसे बस इतना
सुनना है कि,,,मैं व्यस्त हूं और वक्त नहीं है,,,यकीन
मानो बस इतनी सी बात,,,मुझे सुकून देगी,,, कि मैं
भ्रम में नहीं यथार्थ में जी रही हूं,,, कोई मिथ्या नहीं
है,,, हमारे और तुम्हारे दरम्यान,,, मेरे इंतजार की
बस इतनी खता है,,,वो तब करता है जब तुम व्यस्त
रहते हो....✍️

-


27 MAY AT 23:07

तुम से हम तक पहुंचने की जद्दोजेहद में,,,
हम तुम मुसाफ़िर बने अब भी फिरते हैं....
तुम्हारे वजूद से इतर तुममें हम तलाशती,,,
मैं और मेरे अनगिनत ख़्वाब शायद अंत पर खड़े हैं....✍️

-


27 MAY AT 13:15

निभाते रहे अब तक जाने कितने किरदार अपने,,,
जो तेरे संग निभाए वो दिल के सबसे करीब रखा...
बताते चले गए सभी अपनी अहमियत को मुझसे,,,
पर तेरे साथ रहके मैंने खुद की अहमियत को परखा...✍️

-


Fetching सुचि Quotes