QUOTES ON #राधाकेकान्हा

#राधाकेकान्हा quotes

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11 MAY 2022 AT 17:35

हे मधुसूदन...!

वो प्रेम ही क्या ;
जो प्रेम की अधिकता से गर्वित हो....
और प्रेम के अभाव में विचलित......!
द्वारकाधाम की समृद्धि ,
और माधव का सकुशल होना भी तो .....
प्रेम की संतुष्टि हो सकती है...!
है ना.....!

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6 MAR 2022 AT 23:01

मैं होठों पर मुस्कान लिखूं ;
आंखो में अंकित प्रेम करूं..!
तुम अंखियों की मधुशाला को। ;
मेरे रोम रोम में भर देना...!!!!— % &

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27 DEC 2021 AT 15:37

कान्हा में लिखू तुम पर तो लिखू क्या
कृष्ण लिखू तुमसे बाहर तो लिखू क्या


राधा को हारा रुक्मणी को जीता लिख दु
वो जो जिंदा समा गई उस को लिखू क्या

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5 NOV 2021 AT 22:36

संभव है....!
कुछ ही वर्षों में मेघ मल्हार न
गाएंगे...!
संभव है....!
कुछ ही वर्षों में राम अवध को
आयेंगे..!
संभव है....!
श्री कृष्ण कहीं बृंदावन नया
बसाएंगे...!
संभव है....!
कुछ ही वर्षों में खग की भाषा,
हम सुन लेंगे!
हम थोड़ी चुप्पी साधेगें बिन शब्दों के सब चुन लेंगे !!

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5 APR 2022 AT 20:35

स्वर्णिम क्षण......!!!

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19 APR 2022 AT 20:48

क्षण भर का संवाद...!
और.....
मन का चिरंजीवी हो जाना...!!!!

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मुझ सा है कौन बढ़भागी
मेरा श्याम से पहले नाम रहे।
हो दूर भले मुझसे कान्हा,
मेरा ही करते ध्यान रहे।

माना कि हस्त~लकीरों में
निसंदेह राधा का नाम नहीं।
श्याम हृदय में राधे के शिवाय
किसी और का स्थान नहीं ।

मेरा उनका रिश्ता अनुपम
है बिना डोर के बंधा हुआ।
न कोई स्वार्थ न कोई मोह
प्रेमाधार पर सधा हुआ।

जाते हो कहां हे जग वालों,
राधा माधव तो एक ही हैं।
तुम राधे राधे रटते जाओ,
मोहन के रूप अनेक ही हैं।

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28 APR 2022 AT 22:15

मुझे लेखन और स्वर संगीत के क्षेत्र में प्रेरित कर आपने अपनी अनमोल आवाज से मेरा परिचय करा कर मुझे जो प्रोत्साहन और प्रेरणा दिया वह अमूल्य है...!
अपने यूट्यूब चैनल पर प्रसारित कर आपने मेरे गीतों को जो सम्मान दिया .... उसके लिए कोटि कोटि आभार आपका 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼💐🌷💐🌷💐🌷💐🌷💐🌷💐🌷💐🌷💐🌷💐🌷💐🌷

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23 AUG 2019 AT 12:06

माखन चुराकर
बंसी बजाकर
तूने सबका दिल है जीता
तेरे ही काऱण
सबने कान्हा
प्रेम का सही मतलब है सीखा......!

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20 FEB 2020 AT 12:24

अगाध प्रेम की जीवित मूरत,
पायल बांधे योगेश्वर की।
कनक छटा मुख मंडल ऐसी,
प्रेयसी मेरे प्रियवर की।
सुंदरी राधिका अति प्यारी,
लाडो सारे बरसाने की।
श्वेत वर्ण ओ श्याम दुलारी,
प्रेयसी मेरे प्रियवर की।
बनवारी डोलें संग संग,
वो परम प्रिया गिरधारी की।
प्रणय प्रीत प्रिय तुम्हें समर्पित,
प्रेयसी मेरे प्रियवर की।

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