Ashish Vaishnav  
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Joined 21 August 2018


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4 MAR AT 18:59

ये दूरियां उस से मुझे फिर तुम तक ले आई.....

dear YQ

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14 JAN AT 8:06

जुल्फो की अदाओं पे निबंध रचने थे
उन होठों की शरारतों पे प्रबंध रचने थे
ये बादल अटक गए जिम्मेदारियों की कनखनियो में
जाकर इन्हे तो सावन की मोहब्बत में छन्द रचने थे

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12 JAN AT 15:20

मर्ज ए मोहब्बत में दवा जैसा कुछ नहीं
खुशी कुछ नही दर्द कुछ नही गम भी कुछ नही

प्रीत का मतलब ही शादी रखा दुनिया ने
कृष्ण की राधा भी कुछ नही मीरा भी कुछ नही

(read full in caption...)

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8 JAN AT 17:02

बाते जो कही नही सब कहना चाहता हु
में हर वक्त तेरे जहन में रहना चाहता हु

ये टुकड़े टुकड़े की मोहब्बत जला देती है इश्क को
में तेरी आंखों में दिखना होठों पे बहना चाहता हु

ये दुरियो के आलिंगन कब तक चलेंगे मेरे प्यार
में अब तेरे अधरो का दर्द सहना चाहता हु

अपनी आंखों से पिलाओ या हाथो मे थाम लो
हम ही मदहोश उसके इश्क में सबसे कहना चाहता हु

मुझ तक आकर लौट जाने वाले आदत तोड़ देती है
तू हे की समझती नही और में कहना नही चाहता हु

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14 NOV 2023 AT 21:45

जंजीर सी सिफत वाली हाथो मे कोई लकीर नही
हम तुम एक हो जाए ऐसी शायद अपनी तकदीर नही
अधूरी रहकर भी अमर होना है इस कहानी को
युद्धों में चमककर म्यानो में जा छुपे ऐसी शमशीर नही

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15 SEP 2023 AT 15:33

साल- गिरह

तपते जेठ में ज्यों सावन का हाल गिरा
कुछ ऐसे हमारे मिलन का ये साल गिरा

full in caption..

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6 SEP 2023 AT 17:13

चंदन वन सा लगता हैं अब तो संसार सारा
ये मुझमें तुम महकती हो या उपहार तुम्हारा

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1 SEP 2023 AT 19:14

यमुना के तट से लौटती हुई
राधा की सवारी लगती है
हम ही जानते हे तेरे गांव की बस
हमको कितनी प्यारी लगती है

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23 AUG 2023 AT 9:48

तन की टूटी बंसूरियो में होठ, मधुर अपने लगाओ
मन कान्हा बहुत व्यथित है, आओ राधा आओ....

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25 JUL 2023 AT 22:09

गम है की सहा नही जा रहा
आलम है जो कहा नही जा रहा
लौट आओ बांसुरिया की होठो
से अब तन्हा रहा नही जा रहा

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