इतनी वफा के बाद भी हमारी तो
मोहब्बत तन्हाई के हिस्से है
मिल जाते हैं लोग जहां,
यार! वो कोनसा इश्क है, ये किनके किस्से है?-
कितने बसन्त गए
तुम बिन कितने सावन हो गए
पर एक मे हु जिसको तुम्हारे बि... read more
जुल्फो की अदाओं पे निबंध रचने थे
उन होठों की शरारतों पे प्रबंध रचने थे
ये बादल अटक गए जिम्मेदारियों की कनखनियो में
जाकर इन्हे तो सावन की मोहब्बत में छन्द रचने थे-
मर्ज ए मोहब्बत में दवा जैसा कुछ नहीं
खुशी कुछ नही दर्द कुछ नही गम भी कुछ नही
प्रीत का मतलब ही शादी रखा दुनिया ने
कृष्ण की राधा भी कुछ नही मीरा भी कुछ नही
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बाते जो कही नही सब कहना चाहता हु
में हर वक्त तेरे जहन में रहना चाहता हु
ये टुकड़े टुकड़े की मोहब्बत जला देती है इश्क को
में तेरी आंखों में दिखना होठों पे बहना चाहता हु
ये दुरियो के आलिंगन कब तक चलेंगे मेरे प्यार
में अब तेरे अधरो का दर्द सहना चाहता हु
अपनी आंखों से पिलाओ या हाथो मे थाम लो
हम ही मदहोश उसके इश्क में सबसे कहना चाहता हु
मुझ तक आकर लौट जाने वाले आदत तोड़ देती है
तू हे की समझती नही और में कहना नही चाहता हु-
जंजीर सी सिफत वाली हाथो मे कोई लकीर नही
हम तुम एक हो जाए ऐसी शायद अपनी तकदीर नही
अधूरी रहकर भी अमर होना है इस कहानी को
युद्धों में चमककर म्यानो में जा छुपे ऐसी शमशीर नही-
साल- गिरह
तपते जेठ में ज्यों सावन का हाल गिरा
कुछ ऐसे हमारे मिलन का ये साल गिरा
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चंदन वन सा लगता हैं अब तो संसार सारा
ये मुझमें तुम महकती हो या उपहार तुम्हारा-
यमुना के तट से लौटती हुई
राधा की सवारी लगती है
हम ही जानते हे तेरे गांव की बस
हमको कितनी प्यारी लगती है-
तन की टूटी बंसूरियो में होठ, मधुर अपने लगाओ
मन कान्हा बहुत व्यथित है, आओ राधा आओ....-