मेरी हर जिद में जो मेरा साथ देती
मेरे नन्हे हाथों में भी, वो बिन सोचे अपना हाथ देती-
कुत्ते बिल्ली की तरह लड़ते झगड़ते हर वक्त आंखों में जिसका पहरा हुआ
नजरों से ओझल आज वो चेहरा हुआ-
मेरी पोट्टी साफ करती और चांटे मुझे जड़ती रही
मेरी बहना मेरे लिए मम्मा से अक्सर लड़ती रही-
कभी नाक पोछते, जो सामने मेरे बड़ी हुई
मेरी बहना राखी लिए आज सामने खड़ी हुई-
जिन बहनों का नहीं है कोई भाई
उनके आगे हाजिर है मेरी कलाई
करोड़ों क्षण बाद यह खुशी है आई
आप सभी को रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई-
लेखनी में प्यार लिखू ।❣️
कहानी का सार लिखू |
बहन की डाट लिखू ।
उसके भाई का जीवन भर साथ लिखू |
लिखी ,मैंने बात मेरे ज़हन की ।
कुछ अलग ही बात है भाई-बहन की ।
सादी माटी को भी चन्दन लिखूं ❣️✍🏻
प्यार भरे आज के दिन को रक्षाबन्धन लिखू🤗
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तेरी रेशम की डोरी का, रखूंगा ख्याल सिद्धत से,
तेरी रक्षा के सुत्र का, रखूंगा ख्याल सिद्धत से।
मुझे आशीश इतना दे, रखूंगा ख्याल सिद्धत से,
तेरी रक्षा के सुत्र का, रखूंगा ख्याल सिद्धत से।।
मेरे आशिक के दरिया मे, बहुत हे प्यार बहनो का,
मेरे ख्वाहिशों के शहर मे, बहुत हे प्यार बहनो का।
मेरे चाहतो के समंदर मे, बहुत हे प्यार बहनो का,
हम भाइयो के शहर मे, बहुत हे प्यार बहनो का।।
इसी वह अंतिम सावन मे, इसी वह प्रथम भादव मे,
तेरी रक्षा के सुत्र को, सजाऊंगा मे हाथो मे।
मेरे हाथो की कलाई, सजेगी तेरी डोरी से,
तेरी रक्षा के सुत्र का, रखूंगा ख्याल सिद्धत से।।-
प्यार है दुलार है ये,
रक्षाबंधन का त्योहार है ये।
लड़ते हुऐ झगड़ते हुऐ,
यादों का त्योहार है ये।
बचपन की यादों का और,
भाई बहनों का प्यार है ये।
इन कच्ची सी डोरियों में,
रिश्तों का एहसास है ये।
रिश्तों की डोर को बनाए,
मजबूत ऐसा त्योहार है ये।
इन रिश्तों के एहसास को,
जोड़ दे जो ऐसी डोर है ये।
खींच लाती है ये डोर भी,
पास सभी भाई बहनों को।
ना जानें कैसी ये रीत है,
भाई बहनों के प्यार की।-