भरत सिंह जोधाणा सूर्यवंशी   (भरत सिंह जोधाणा)
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Joined 23 December 2020


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Joined 23 December 2020

वीरों री खान हे,
म्हारी पहचान हे,
यों रेतीलो रेगिस्तान,
म्हारो राजस्थान हे।

-भरतसिंह जोधाणा
आप सगळा नु म्हारी तरफ से
राजस्थान दिवस कि घणी -घणी बधाइयां।
खंमा घणी सा।
राम राम सा।

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हे वेदमाता हे वीणावादनी, हमको ले अपनी शरण,
तेरी भक्ति से कर दें हमको,भर दें विद्या से दामन।।

हे माता हमे तुम शक्ति दो,हे माता हमें तुम भक्ति दो।
विद्या का ज्ञान हमें दें दो,हे माता हमें सद्बुद्धि दो।।

शब्दों की हमें माला दें दो,ज्ञान हमें तुम शक्ति दो।
पढ़ने की हमें बुद्धि दें दो,हे माता हमें सद्बुद्धि दो।।

हे माता हमारे ह्रदय मे,इल्म की ज्योति जला देना।
हे माता हमारे अंतरमन को,पढ़ने को प्यासा कर देना।।

हे माता हमारे मन को तुम,रंगमल्ली के स्वर से भर देना।
हे माता हमारे तन मे तुम,रग -रग मे भक्ति भर देना।।

हे माता हमें तुम शक्ति दो,हे माता हमें तुम भक्ति दो।
विद्या का ज्ञान हमें दें दो,हे माता हमें सद्बुद्धि दो।।

-



हमें जीने का सम्मान मिला,
हमें आर्थिक मान मिला,
जीने के अभिमान मिला,
हमें राष्ट्र का गान मिला,

देश हमारा गणराज्य बना हे,
देश हमारा पंथ निरपेक्ष बना हे,
देश हमारा समाजवादी बना हे,
देश हमारा महान बना हे,

स्वतंत्रता का अधिकार मिला हे,
समता का अधिकार मिला हे,
शोषण के विरुद्ध अधिकार मिला हे
मौलिक हमें कर्तव्य मिला हे।

ये देश मेरा अभिमानी हे,
ये देश मेरा स्वाभिमानी हे,
ये देश मेरा स्वामिभक्ति का,
ये देश तिरंगे की शान हे।

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मौत का खोप किसेहे,हम मौत के दीवाने हे,
हमें आजमा कर तो देख,हम सिर्फ तेरे दीवाने हे।

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जो समझते नहीं, उन्हें समझाना झोड़ दिया,
जो मानते नहीं,उन्हें मनाना छोड़ दिया,
जो दिल जुड़ते नहीं, उन्हें जोड़ना छोड़ दिया।

दुनिया को समझाने का ठेका नहीं हे,
हर किसी को मनाने का मन नहीं हे,
हर किसी से दिल लगाने को दिल नहीं हे।

हम तो हमारी मस्ती मे मग्न,
क्योंकि हमें दुनिया की फिकर नहीं,
और अब तो हमनें भी हमें मनाना छोड़ दिया।

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दिलो से गुजरता कोई जख्म छूटा होगा,
यारों की बस्ती से कोई यार छूटा होगा।
समझना अगर खुद समझ सको तो,
लगता जैसे कोई अपना हमसे रूठा होगा।।

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मुझे लगा था शादी हो गई,
आज मेरी उस महबूबा की।
बचपन से करता हु प्यार जिसे मे,
मेरी उस महबूबा की।।

दिल से दिल को जोड़ना चाह,
पर उसकी इच्छा जान न पाया।
किसको चाहती थी वो मन से,
अपना प्यार उसे जता ना पाया।।

रहा अधुरा प्यार मेरा पर,
वन साइड इश्क का मारा हु।
चाह आज भी उसकी घेरे,
पर मुझको उसकी तन्हाई ने मारा।।

गम ही गम मे रहता हु,
उदास मेरा ये चेहरा हे।
हर कोई देखना चाहता मुस्कराहट,
पर मुझको वफाए इश्क ने मारा।।

-



क्या हाल था मे रा जब,मे विद्यालय मे आया था।
दो से दो का जोड़ भी, आपने हमें सिखाया था।।

डंडे मैंने खाये थे, डाँट आप की खाई थी।
यही कारण हे की जिससे, आपसे दुश्मनी अपनाई थी।।

हर रोज बाते बनती थी, आप हमें सिखाते थे।
वो ज्ञान काम आ गया, वो समय याद आ गया।।

याद बहुत आयेगी, गणित हमें सतायेगी।
आप जो जा रहे हो,गणित बड़ी सतायेगी।।

बिन आपके हल नहीं, अब हमारे सवाल के।
जैसे वृत्त के क्षेत्रफल मे, पाई का मान नहीं हे।।

क्या हाल था मेरा जब,मे विद्यालय मे आया था।
दो से दो का जोड़ भी, आपने हमें सिखाया था।।

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हाय मेरा वो बचपन था,
जब मे भी टिपा करता था।
अध्यापक रोज पकड़ते थे,
मे सुधरा फिर भी नहीं करता था।।

हर रोज झगड़ना मस्ती करना,
महफिल मे रोज यही चलता था।
तुम्हारे जैसे कॉफी लेकर,
बैठा मे भी करता था।।

आता जाता कुछ नहीं,
फिर भी पढ़ा नहीं करता था।
जीरो नंबर लेकर आते,
फिर उधम मचाते थे।।

हाय मेरा वो बचपन था,
याद जिसे मे करता हु।
काश अगर मे पढ लिख लेता,
हाल मेरा यह बुरा ना होता।।

हाय मेरा वो बचपन था,
जब मे भी टिपा करता था।
अध्यापक रोज पकड़ते थे,
मे सुधरा फिर भी नहीं करता था।।

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ऐ बारिश तुझसे बड़ा इश्क हे,
पर ये क्या,
तेरा सतना अब भी जारी हे।
तेरा यू अचानक आना,
बिन मौसम तेरा बरस जाना,
बिल्कुल अच्छी बात नहीं हे,
फसले सारी नष्ट हुई हे,
कर्ज पर कर्ज चढ़ा जा रहा हे,
कैसे मे करू भरपाई,
तुझसे मैंने आस लगाई,
हर बार तु धोखा देता हमको,
किस बात का गुस्सा हे हम पर,
हमनें बिगाड़ा क्या हे तेरा,
ऐ बारिश तुझसे बड़ा इश्क हे।
पर ये क्या तूने कर डाला,
खेतो मे फसले कटी पड़ी हे,
पानी ऊपर तेर रही हे,
ऊपर से फिर तु बरस रहा हे,
तुझमें क्या दया नहीं,
तेरे अंदर भाव नहीं हे,
ऐ बारिश तूने किया ये क्या हे,
ऐ बारिश तुझसे बड़ा इश्क हे।

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