रंगमंच पे इतने किरदार कहां
जितना एक इंसान रंगदार यहां।-
उम्र कोई भी हो तत्पर रहता है हरदम प्यार
चाहत का चहुंओर गूंज हमदम की दरकार
धड़कन जब तक झंकृत प्यार की रहे संस्कृति
दिल में ही दिलदार बसे दिल जब तक रंगदार।
धीरेन्द्र सिंह-
प्यार है! तो बोल कर, इकरार होना चाहिए ।
चंद छिपे जज़्बातों का, इजहार होना चाहिए।।
वो इश्क़ ही क्या, जो पानी मे आग ना लगा पाए।
आशिक़ों को, थोड़ा सा रंगदार होना चाहिए।।-
वो शख़्स तन्हा रहा होगा
कितना,जो मुख़्तलिफ़ था
अलग-थलग किरदारों में,
रोज़ जीता होगा रोज़ मरता
होगा अपनी ही ख्वाहिशों
ख्यालों में,रंग कई देखे होगें
उसने,दुनिया के रंगदारों में,,,purnima
-
अंतिम वक्त तक खूब लड़ा
हार कर अब लौट जाना था
थोड़ी मायूसी थी
ग़लतियों का हिसाब लगाते गया
जीवन में सवाल ही जवाब था
फिर भी लगा अब लौट
पाना मशक्कत भरी होगी
शहर में गलियां ही गलियां है
संभावनाओं की कमी नहीं
पहले के गलियों से परछाई छू
वापस लौट आया था
बस, हाथ भर की दूरी पर है,
वह जिसे पाना है।
ग़लतीयां उसी दूरी को समझने में थी।
स्व में खोया
"देव"
-