करें योग रहें निरोग🙏
"योग भारत की प्राचीन परम्परा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है; विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन- शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। तो आयें एक अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।🙏🙏-
दिलाए इंद्रियों पर काबू
योग ऐसा है जादू
दिलाए मन को शांति
योग ऐसी है क्रांति
दिलाए तन को मज़बूती
योग ऐसी है विभूति
दिलाए शरीर को बल
योग ऐसा है प्रबल
दिलाए दिल को सुकून
योग ऐसा है जुनून
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चंचल चित को काबू करना
योग का है काम,,
मन की सारी दुविधाओं को
योग करे आसान!!
🧘♀️ अंतराष्ट्रीय योग दिवस🧘♀️
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ज़िंदगी की भागदौड़ से
जब चाहिए चैन की साँस,,
थोड़ा पल बैठ कर
कीजिए योग अभ्यास!!
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तन को थामे
मन को थामे
सुकून का करे संचार,,
योग के अभ्यास से
सुखद बने विचार!!
🧘♀️अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस🧘♀️
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आज विश्व योग दिवस हैं.....
आज बाबा रोहितानंद आपको बताये कुछ नए योग के प्रकार.....!
1. चैट आसन- सबसे पहला आसन बहुत ही आसान हैं, इस आसन को सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक आप कभी भी कर सकते है, सुबह बिस्तर में लेटे- लेटे, दफ्तर में काम करते हुए, शाम को किसी प्रिय से (पत्नी अगर हो तो, प्रेमिका अगर हो तो, और दोस्तो से भी) दिन भर आपको अपने मोबाइल का इंटरनेट चालू रखना हैं, क्या पता कब किसका क्या मेसेज आ जाये, ये आसन आपके अंगूठे के लिए लाभप्रद हैं.....!
2. कॉल आसन- आज कल जिओ की सिम आपको फ्री कालिंग सुविधा दे रही हैं, तो इस आसन को भी आप 24 घंटे में कभी भी कर सकते हैं.....!
3. सेल्फी आसन- ये आसन लड़कियों का प्रिय आसन हैं, इसमें आपको बत्तख या बिल्ली की तरह मुँह बनाना आना चाहिए, नहीं तो आप किसी कुत्ते की तरह जीभ निकाल कर भी इस आसन को कर सकते हैं, इस आसन को करने के बाद अपनी फोटो या में ज़रूर डाले, क्योंकि आपके बहुत से भक्त आपके इस आसन के नए चित्र को देखने के लिए बैठे हैं.....!-
मन शरीर आत्मा को एक कर
योग कर योग कर योग कर
मन को तू एकदम एकाग्र कर
योग कर योग कर योग कर
सही न हो एैलोपैथी से रोग गर
तो योग कर योग कर योग कर
नित्य प्रति आधा घंटा बैठकर
योग कर योग कर योग कर-
वास्तविक योग,
मन से पार जाने के बाद ही आरम्भ होता है।
मन से परे चेतना का वास्तविक अस्तित्व प्रारम्भ होता है।
मन के निम्न तल से
ऊपर उठने पर ही हमारे व्यक्तित्व में
समग्रता, व्यापक व दिव्यता आती है।
मन में आग्रह, भूत की अस्वित्वविहीन व्यथाएँ व
भविष्य की अनगिनत कल्पनाएँ होती है।
हम ज्ञात में जीना चाहते है, जबकि अज्ञात से भयभीत रहते है,
इसलिए हम कोई नया काम करने का साहस नहीं जुटा पाते है।-