और तितली?
तितली के बारे में मैंने जब भी सोचा है, उसने मुझे अन्दर तक छुआ है. स्कूल के दिनों में ‘आर्गिमोन’ की कटीली झाड़ियों में लगभग एक ही रंग की तितली दिखती थी-पीले रंग की. पंखुड़ियों पर कोई नक्काशी नहीं, बस केवल सादा पीला रंग. उस तितली को पकड़ने की हम हमेशा कोशिश करते, कारण यह था कि उसको पकड़ने से हमारी ऊँगलियों में पीला रंग लग जाता था. यह करीब हमारा रोज़ का नियम था. इस बात ने मुझे हमेशा प्रेरणा दी कि कैसे एक दुर्बल-सी, कोमल-सी पर बेहद आकर्षक, सृष्टि की यह छोटी सी रचना जीवन का वह पाठ सिखा देती है कि संसार में छोटा-बड़ा कुछ भी नहीं. गुण हो तो सम्पर्क में आने वाला हर व्यक्ति गुणी के ही रंग में रंग जाता है.
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