आंखों की पुतली को बड़ा करके
और दिमाग की नसों पर
जोर डालकर सोचो
ओ बीते पल का एक हिस्सा
ले आओ ;
ये जो मुर्दा लाश ढो रहे हो
सालों से खुद के ऊपर
.
.
इसमें जान आ जाएगी !!-
एहसास ओ यादें
दोनो मिलकर ना जाने
कैसी एक तस्वीर खींच रहे है !
जिसमें मैं हू , तुम हो
ओ हमारे बीच मे फैला हुआ
ये मीलों का
रेतीला , कटीला ओ वीरान
मैदान !
जो न तो आज ओ ना आने
वाले कल मे मिलने वाला है
ये मिलायेगा हमे सदियो पीछे
बीत चुके कलैन्डरो की तारीखों में !!-
आंखो देखी हर बात सही है
इस पर क्यो लडना चिल्लाना ,
बैठो इक दिन रेल के अन्दर
ओ फिर देखो पेडो का बस चलते जाना !-
तेरे ख्याल से खुद को छुपा के देखा है,
दिल-ओ-नजर को रुला-रुला के देखा है,
तू नहीं तो कुछ भी नहीं है तेरी कसम,
मैंने कुछ पल तुझे भुला के देखा है।-
What's app, Facebook,ज्ञान और
दूसरों का लिखा हुआ क्यूँ परोसते हो ?
सबसे बड़ी बात,वाह-वाही भी बटोरते हो?
यहाँ कड़छी चमचों की कमी नहीं है..
कड़ाही में चोरी की सब्जी पड़ी है ...
😂😂😂😂😂😂🤣🤣🤣🤣🤣🤣
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मैंने कल के शहजादो को ,
भूखे सड़कों पे गिरते देखा है
जो डरते थे दीपक की लौ से ,
उनको मय से जलते देखा है
मैंने देखा एक अपने जैसा ,
कल बिन बात के रूठ गया
ना जाने मैंने कितनों को ,
ऐसे ही पागल हो जाते देखा है !-
आसमां में सितारों को हज़ार देखा हैं
आशा के सूरज को सर पर सवार देखा हैं
ढलती शाम के साथ अपनी आशाओं को
डूबते देखा हैं
हर नए दिन के साथ अपने आप को बदलता देखा हैं
मैने समय के साथ चलना सीखा हैं
-
मैंने नापी है छत में सोते हुए
आसमान की ऊंचाई
गिने है तारे,देखा है आसमां से
तारो को गिरते हुए
मैं कैसे गुरुर करू ऊचाइयों का....
मैंने खेला हैं मिट्टी में,बनाए है मिट्टी से चूल्हा,चक्की
वो खिलौने जो बाहर थे हैसियत से
मुझे पता है मोल मिट्टी का,कीमती वस्तुओं का
इसीलिए फिजूल खर्च चुभते है मुझे....
मैं शर्मिंदा नही खुश होती हूँ जमीन में पसरकर
मैने देखा है मिट्टी के चूल्हों में खाना बनाते
मिट्टी से रसोई को पोतना,महक आज भी याद है
धुआं आंखो में झेलके बहुत लोगो का खाना बनना
कैसे सकचाऊं मेहमानवाज़ी से ....
मैने सुनी है बड़े बूढ़ो की कहानियां,देखा है सम्मान
उनकी घर की राय में पूरी दखलंदाजिया
मुझे कोई शर्म नही,बड़ो के सामने सर झुकाने से
पर आज कोई नही करना चाहता कुछ भी यह सब
फिर भी लोग बाज नही आते हक जताने से...
आशाएं
— % &-
वो चश्मा
जिससे ज़िंदगी देखता था
बदल लिया है मैंने
धुन्दला सा था कुछ कुछ
पर अब सब साफ है
खुद के साथ चला हूँ मै
खुद को माफ करा है मैंने
चश्मा जिंदगी देखने का
बदल लिया है मैंने
यूँही-