Ashayein   (आशाएं)
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Joined 10 May 2019


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7 JUL AT 23:56

जो वो खुद को बचा रहा है
कमबख्त बारिशों से इतना
अंदर से झांक कर देखों तो
ग़म से भींगा हुआ हैं
ये विशालकाय बनके लहरों से
सब कर लेता हैं हजम समुद्र
अंदर से जाके देखो हर
सामान टूटा हुआ हैं

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7 JUL AT 18:18

मैं ज्यादा अच्छी नहीं हूं ज्यादा बुरी भी नहीं हूं
कई बार डगमगाई हूं पर कभी गिरी नहीं हूं

चांद तारे दुनिया क़दमों पर रखने वाले लोग
मुझे मिले बहुत लेकिन मैं उन्हें मिली नहीं हूं

जो मेरे दाग दिखा मुझमें कमियां निकालते रहें
उन्हें बोलो झुलसी हूं मैं जरा सी पर जली नहीं हूं

बहुत मासूम कहते हैं मुझे सब मुझे मेरी बातों से
वो‌ सकते में हैं सच बोलने से मैं कभी डरी नहीं हूं

आजकल क्यूं लोग मेरी खूबियां गिनाने‌ लग गए
मैं बस इसी सोच में हूं कि मैं तो अभी मरी नहीं हूं




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7 JUL AT 17:55

प्यास अब गुज़र गई हैं हद से
कोई पानी पूछें तो बुरा लगता हैं

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5 JUL AT 15:44

ना इश्क हुआ मुझसे किसीको ना किसी से मुझे प्यार हुआ
जो भी इस दरिया में कूदा डूबा और बर्बाद हुआ

आजकल का प्यार ये क्या हैं तमाशा या दिखावा
एक बार भी ना जुड़ा किसी से पर ब्रेकअप सौ बार हुआ

निगाहों में कोई दिल में कोई सामने कोई दिमाग में कोई
सच्चे प्यार का भला कौन सही यहां दावेदार हुआ

जब सोचा एक प्रेम के संग बंध जीवन में रहना
इसीलिए शादी का ऐतबार भी अब बेकार हुआ

ना देखी अपनी करनी यहां किसी ने एक दूजे पर वार हुआ
सब बन गए भले मानुष यहां बस भाग्य गुनहगार हुआ


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2 JUL AT 11:47

मुझे मालूम हैं सारी अपनी बुराइयां अपनी
कुछ अच्छा दिखे मुझमें तो प्रशंसा कर देना
वैसे तो बुरा होने में भी कोई बुराई नहीं होती
पर तारीफ कर अच्छा रहने की मंशा कर देना

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27 JUN AT 18:55

अब औरतें जन्म रही हैं नई-नई सभ्यताएं
पहले की सभ्यताओं में उनका वजूद कहा था

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27 JUN AT 18:52

ना वक्त दिया ना मेरा हाल पूछा तुमने
ना क्यूं कहा मैंने बस सवाल पूछा तुमने

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23 JUN AT 18:56

मोहब्बत एकतरफा थी
क्यूं लफ़्ज़ों से बयां करते
वो देख नजरें फेर लेती थी
उन निगाहों का हम क्या करते
जब भी मिले उसे बहुत सलीके से
प्यार की चिंगारी को कैसे हवा करते
भुली नहीं गई और मिली भी नहीं वो
बेइलाज मर्ज था कैसे दवा करते
मेरा प्यार नहीं कोई कारोबारी था
उसके खुश रहने की आज भी दुआं करते
आशाएं











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12 JUN AT 21:51

जिस जिंदगी को हम अपनी अमानत मानते हैं
कब कहां कैसे हमें छोड़ जाएं कहां जानते हैं
जब तक जिंदा हो ना मुस्कुरा लो यार सब
मुर्दे कहा से यूं मुस्कुराने का हुनर जानते‌ हैं
जीवन निकाल देते हैं पैसा पैसा जोड़ने में
मौत तो जलने को जरा सी जमीन मांगते हैं




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12 JUN AT 21:09

मंदिर मस्जिद भीड़ भाड़ हैं
घर में एकांत वास हैं
पत्थर को धर धर पूजे सब
इंसानियत का अवकाश हैं
लिए फिरे जो संग में ऐश्वर्य
उनका कैसा सन्यास हैं
राम बैठे कलयुग में घर में
दशरथ का वनवास हैं
नारी ने त्यागी ममता करुणा
बड़ा दुखद एहसास हैं
अभी सम्भालो वक्त बचा हैं
कलयुग की यह शुरुआत हैं
आशाए





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