जिस जिंदगी को हम अपनी अमानत मानते हैं
कब कहां कैसे हमें छोड़ जाएं कहां जानते हैं
जब तक जिंदा हो ना मुस्कुरा लो यार सब
मुर्दे कहा से यूं मुस्कुराने का हुनर जानते हैं
जीवन निकाल देते हैं पैसा पैसा जोड़ने में
मौत तो जलने को जरा सी जमीन मांगते हैं
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1august my Birthday
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मंदिर मस्जिद भीड़ भाड़ हैं
घर में एकांत वास हैं
पत्थर को धर धर पूजे सब
इंसानियत का अवकाश हैं
लिए फिरे जो संग में ऐश्वर्य
उनका कैसा सन्यास हैं
राम बैठे कलयुग में घर में
दशरथ का वनवास हैं
नारी ने त्यागी ममता करुणा
बड़ा दुखद एहसास हैं
अभी सम्भालो वक्त बचा हैं
कलयुग की यह शुरुआत हैं
आशाए
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दादा दादी आप हमारी जान हो
हमारा मान हो हमारा सम्मान हो
पापा की डांट से आप बचाते हो
मम्मी के गुस्से से आप छुपाते हो
बन जाते हो ढाल हमारी
जब होती जिंदगी निढाल हमारी
आप दोनों की जोड़ी सलामत रहें
आपकी खुशियां हमारी अमानत रहें
आपको शादी की पचासवीं सालगिरह की
हार्दिक बधाई
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मातृ भाषा का सम्मान जब हमारे देश के लोग ही नहीं करते
तो बच्चें तो अपनी मां की भाषा की अवहेलना करें तो बड़ी बात नही-
यदि रोने को मिल जाए कोपभवन
पर मनाने वाला दशरथ सा पति तो हो
भड़काए मुझे शुभचिंतक मंथरा कोई
पर भड़कने वाली मेरी ऐसी मति तो हो
दूं चौदह साल नहीं चौदह दिन का वनवास
माने जो किसी में इतनी मातृ भक्ति तो हो
मैं बनने को तैयार हूं कैकयी सी बुरी माता
मेरे लाल कि यदि राम सी ख्याति जो हो
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मैं कश्मीर हूं....
कभी दहकती आग
कभी चहकती साथ
मैं दो धर्मों की पीर हूं
हां मैं कश्मीर हूं......
मैं तपस्वी कश्यप की
तप से तपीं ज़मीन हूं
हा मैं कश्मीर हूं....
महाभारत का कुरूक्षेत्र हूं
मैं दो देशों का हस्तक्षेप हूं
कश्मीरी पंडितों की कराह हूं
इसीलिए इतनी मैं गम्भीर हूं
हां मैं कश्मीर हूं ......
सफेद बर्फ़ के चादरों में छिपा
लाल लहूं का दाग़ हूं
लेकिन मैं सच मे पाक हूं
मैं इंसानियत की ताबीर हूं
हां मैं कश्मीर हूं....
कभी बंदूक का शोर हूं
तो मैं कभी सुंदर भोर हूं
कहते हैं सब मैं जन्नत हूं
तभी असुरों की मन्नत हूं
दो हाथों में खिंचती
एक लाचार जंजीर हूं
हां मैं कश्मीर हूं ......
डल झील की शिकारा हूं
केसर का स्वाद हूं
सेबों से अम्बार हूं
पश्मीना शाल हूं
मैं फिर भी गरीब हूं
जाने किसकी तकदीर हूं
हां मैं कश्मीर हूं ...
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कौन कहता हैं कि वक्त के साथ घाव भर जाते हैं
हम कहते हैं कि वक्त के बाद लगाव मर जाते हैं
धोखाबाज झूठे फरेबी,दिखावटी लोगो के पास
गम आए तो मुझसे मिलते है ये लोग किधर जाते हैं
यूं तो हर शख्स जीवन में एक हादसा लिए बैठा है
कुछ लोग होते है मजबूत पर कुछ लोग बिखर जाते हैं
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जंगलों को ना नष्ट करो
बुद्धि अपनी ना भ्रष्ट करो
तोल कर खुद को करोड़ों में
नई पीढ़ी की जिंदगी ना नष्ट करो
क्या मिलेगा तुम्हें पक्षियों को मार कर
खुश हो सकोगे तुम पेड़ों को उजाड़ कर
गर्मियों की ताप से फिर ए.सी. ये बचाएंगे
होगी हरियाली खत्म ए.सी.ही तुम्हें जलाएंगे
नहीं विनाश की तुम शुरुआत करो
प्रकृति मां है हमारी ना उस पर आघात करो
देखो कैसे रो रहे हैं जानवर जंगलों से दूर हो
तुम तो एक सरकार हो तुम कैसे मजबूर हो
ना चाहिए विकास ये इंसानियत को ताक रख
लालच का हटा पर्दा और मानवता को पाक रख
खत्म होगी हरियाली पशु पक्षी सब मर जाएंगे
आह लगेगी इनकी इंसान पूरे जानवर बन जाएंगे
जो सूरज उगा नहीं उसे ना पहले अस्त करो
जंगलों को ना नष्ट करो, जंगलों को ना नष्ट करो
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हवा ने छीन लिए चिराग सारे जलते हुए
मैं अंधेरों से गुजारिश रोशनी की करूं कैसे
मैं खुद चल रही हूं सूखें पत्तों का दर्द सुनके
शिकायत पेड़ों से फिर कांटों की करूं कैसे
सुना है पेड़ ना अपनाते डाली से टूटे पत्तों को
सोचती हूं मैं अपने गांव बरसों बाद चलूं कैसे
कमाई और शान शौकत खींच लाई दूर देश मुझे
अब आखरी सांस अजनबियों के बीच भरूं कैसे
मुझे बुला रही हैं मां बड़े लाड़ से कच्चे आंगन में
अपनी माटी की महक चूमें बगैर बोलो मरूं कैसे
-आशाएं
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कोई तुमसे इसीलिए बात नहीं कर रहा
क्योंकि उसका मूंड खराब हैं
तो इसका मतलब तुम वो खुशी नहीं हो
जो उसे खुश कर सके
कोई तुम्हें वक्त इसलिए नहीं दे रहा
कि उसके पास समय नहीं हैं
तो तुम वो बहुमूल्य वक्त नहीं हो
जिसे वह व्यस्तता से निकाल सके
कोई तुमसे मिलने का मन तो बता रहा
पर ना मिल पाने के दस बहाने बता रहा
तो तुम इस जन्म की वो मुलाकात नहीं हो
जिसपर वो गुनगुना सके
लग जा गले से फिर ये .......
अरे हटाओं इन बातों को
खुद से खुद की ख्वाइश पूछो
खुद से खुद को समय दो
रोज आइने में खड़े होकर
खुद से मिलो ......
-आशाएं
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