जिन्हें खुद का ख्याल नहीं वो मेरा ख्याल क्या रखेंगे
जिन्हें आदत हो सिर्फ जबाब देने की वो मुझसे सवाल क्या करेंगे
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1august my Birthday
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एक मारे गए अहंकार को देखने
लाखों कितने अहंकार में जाते हैं
उनके द्वारा अहंकार को मारा गया
दुहरा अहंकार लिए वापस आते हैं
दशहरे की राम राम 🙏
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रावण का अहंकार तो
उस दिन ही खत्म हो गया
जिस दिन वो मारा गया
अब लोग उसके अहंकार
की चिंगारी हर साल खुद में
सुलगाने से जाते हैं
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मैं अपने गम सुनाऊं क्या
फिर तुम अपने गम सुनाओगे
मुझे फिर तुम बेचारा कहोगे
और खुद को बेचारा पाओगे
मैं अपने हाथ फैला दूं क्या
फिर तुम अपने हाथ फैलाओगे
तुम अपना मुझे सहारा कहोगे
मेरा तुम सहारा बन जाओगे
मैं अच्छी जगह ले जाऊं क्या
फिर तुम अच्छी जगह ले जाओगे
तुम मेरी नजर से देखोगे
अपना नजर से मुझे दिखाओगे
मैं तुम्हें अपना बना लूं क्या
फिर तुम अपना मुझे बनाओगे
मैं तुम पर हक जताऊंगी
और तुम मुझ पर हक जताओगे
मैं तुमसे उम्मीद जगां लूं क्या
तुम मुझपर उम्मीद जगाओगे
मैं अपना अहम टकराऊगी
फिर तुम अपना अहम टकराओगे
मैं अपना हाथ छुड़ा लूं क्या
तुम मुझसे हाथ छुड़ाओगे
मै तुम पर शक करती फिरूंगी
तुम मुझपर शक की सुई घुमाओगे
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मैं बहुत खुश नहीं हूं
पर मैंने अपने गमों से
बातें करना छोड़ दिया है
मेरे सब शुभचिंतक नहीं है
पर मैंने अपनी उम्मीदों को
खूद तक मोड़ लिया है
मेरे पास बहुत पैसा नहीं है
मैंने महंगें शौक का लट्टू
चूर चूर कर फोड़ लिया हैं
दिखावटी भाग दौड़ से थकी
मैंने अपने ध्यान को
अपने किरदार को
बेहतर बनाने की ओर किया हैं
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देवी कौन हैं
राझसों का सिर्फ
दमन करने वाली
वरदान देने वाली
देवी एक औरत हैं
क्रोध में काली
दुर्गा बनके बलशाली
सम्पन्नता में लक्ष्मी
ज्ञान में सरस्वती
जबतक हर नारी का
सम्मान नहीं होगा
मां की पूजा का पूरा
पूर्ण आह्वान नहीं होगा
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मैं बगैर पगार की मजदूर हूं
मानो तो मैं आसमान हू्ं
ना मानो तो मैं जमीं भी नहीं
मेरे बगैर कुछ नहीं तेरा जीवन
जीते जी किसी को यकीं भी नहीं
थोड़ी सी मजबूत हूं
थोड़ी सी मजबूर हूं
मैं बगैर पगार की मजदूर हूं
खर्चे तेरे पर चर्चे सिर्फ मेरे
कब कहां खर्च मेरा हिसाब दे दो
ना दो लाखों पर मेरी बात का तो
प्यार से बस थोड़ा जबाब दे दो
सलीके नहीं आते मुझे कोई
हां मैं बिल्कुल बेसहूर हूं
क्योंकि मैं बगैर पगार की मजदूर हूं
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मेरे ख्वाब जब मेरी हकीकत से टकरा जाते हैं
पहले तो डरते हैं और फिर हौले से मुस्कुराते हैं
कहते हैं मुझसे दोनों में कोई अंतर नहीं लगता
या तुम सोती नहीं या ख्वाब जागते में आते हैं
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अत्यधिक मजबूत और खुद से प्यार करने वाली होती है वो स्त्रियां
जो संघर्ष कर अपनी काया और माया को निखारने की जिम्मेदारी खुद निभाती हैं-
पचास की उम्र में आदमी
अजीब सा हो जाता हैं
ना जवानी छोड़ पाता हैं
ना बुढ़ापा ओढ़ पाता हैं 🫢-