मैं शून्य से अनंत का प्रमाण हू,
मैं अमिट, मैं विराट, मैं शक्तिमान हू.
मैं आरती, मैं अजान, मैं गिरजा की पुकार हू.
मैं राम, हू रहीम, कभी गुरु गोबिंद सिंह महान हू.
मैं रावण हू विभीषण , कभी कृष्ण और बलराम हू.
सीता की करुणा, कभी द्रौपदी का अभिशाप हू.
मैं झांसी की रानी का रूद्र रूप बलवान हू, कभी छोटी सी "nirbhaya" की चीखती पुकार हू.
मैं अहंकार हू, कभी शबरी का प्यार हू.
होली के रंग में रंगी गुजिया की मिठास हू.
मैं ईद की हू ईदी कभी गुर पूरब की दाल हू.
हू नालंदा, हू तक्षशिला, मैं ज़ीरो की मांद हू.
कभी करगिल, कभी पोखरन, कच्छ का रन महान हू.
शीष उठा कर खड़ा, हिमालय पर्वत विशाल हू.
कोई चीन कोई पाक, मैं तो भारत वर्ष महान हू.
मैं अमिट, मैं विराट, मैं सर्व शक्तिमान हू.
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