QUOTES ON #मैंकौनहूँ

#मैंकौनहूँ quotes

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13 NOV 2018 AT 8:08

तन मिट्टी का मन मिट्टी सा
है साहस पर ये खड़ा हुआ
यह शोणित जो बहता नस में
है अभिमानों से सना हुआ ।।

झुकना तो मैंने सीखा है
पर टूट जाना स्वीकार नहीं,
अपने वश में कोई कर ले
इतना छोटा आकार नहीं ।

कुल-गोत्र का मुझको पता नहीं
किस उद्भव में हूँ उदय हुआ
दो हाथ हमारे साथ है अब
बस दो गज ही मेरा परिचय ।।

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1 JAN 2019 AT 23:36

विमूढ़ सा यथार्थ मैं, विचित्र एक पदार्थ मैं
अनन्त में न आज में, कृष्ण में न पार्थ में
आत्मबल की चाह में खोजता हूँ राह मैं
धरा से दूर क्षितिज को, ताकता हूँ रात में ।
असभ्य हूँ अमान्य हूँ, निरथर्क विद्वान हूँ
रसातल में गिरी हुई निर्जीव मुस्कान हूँ
परजीवी हूँ बेईमान हूँ तिरस्कृत सम्मान हूँ
मैं कौन हूँ कौन नहीं, अपने में हैरान हूँ

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13 NOV 2018 AT 7:01

अनुभव हूँ, आभास हूँ मैं। महसूस करो, एहसास हूँ मैं।।
समझ सको तो शब्द ब्रह्म हूँ, वर्ना बस अल्फाज़ हूँ मैं।।

किसी सफ़े को स्याह करूँगा, किसी सहर को शाम करूँगा।
किसी सफ़र को चलते चलते, थक कर मैं आराम करूँगा।।

कहीं बनूँगा चंचल चितवन, कहीं पे भीगा भीगा सा मन।
किसी नवल को थपकी दूँगा, अधर पे बन कर लोरी की धुन।।

कहीं पे बन कर चिट्ठी-पाती, किसी के दिल का हाल कहूँगा।
कहीं पे हिन्दी अंग्रेज़ी बन, शब्दकोश में पड़ा रहूँगा।।

अरज, दुआ, अरदास हूँ मैं, महसूस करो, एहसास हूँ मैं।।
समझ सको तो शब्द ब्रह्म हूँ, वर्ना बस अल्फाज़ हूँ मैं।।

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13 NOV 2018 AT 17:22

मैं शून्य से अनंत का प्रमाण हू,

मैं अमिट, मैं विराट, मैं शक्तिमान हू.

मैं आरती, मैं अजान, मैं गिरजा की पुकार हू.

मैं राम, हू रहीम, कभी गुरु गोबिंद सिंह महान हू.

मैं रावण हू विभीषण , कभी कृष्ण और बलराम हू.

सीता की करुणा, कभी द्रौपदी का अभिशाप हू.

मैं झांसी की रानी का रूद्र रूप बलवान हू, कभी छोटी सी "nirbhaya" की चीखती पुकार हू.

मैं अहंकार हू, कभी शबरी का प्यार हू.

होली के रंग में रंगी गुजिया की मिठास हू.

मैं ईद की हू ईदी कभी गुर पूरब की दाल हू.

हू नालंदा, हू तक्षशिला, मैं ज़ीरो की मांद हू.

कभी करगिल, कभी पोखरन, कच्छ का रन महान हू.

शीष उठा कर खड़ा, हिमालय पर्वत विशाल हू.

कोई चीन कोई पाक, मैं तो भारत वर्ष महान हू.

मैं अमिट, मैं विराट, मैं सर्व शक्तिमान हू.

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15 OCT 2018 AT 13:14

तुम गंगा की अल्हड़ चंचल धारा, मैं कानपुर की तंग गलियों का जाम प्रिये,
तुम आनन्देश्वर मन्दिर की आस्था, मैं पत्थरों पर घिसती भांग प्रिये।

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20 OCT 2019 AT 14:31

मैं कौन हूँ..??
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प्रश्न उठा है.. एक गम्भीर
हूँ मैं पावक या हूँ.. नीर
समय रहा है मुझको चीर
हुआ है मेरा.. मन अधीर
लिखना है मुझको वो..
जो मैं खुद भी न जानूँ
कैसे टटोलूँ अपने हृदय को?
कैसे इसकी मनसा जानूँ?
क्या बतलाऊँ उसको..?
कि.. मैं कौन हूँ?
इस प्रश्न से तो..
मैं भी अब तक मौन हूँ
क्या है मेरा अस्तित्व.. इस संसार में?
जी रही हूँ मैं.. आखिर किस अहंकार में?
समझा न पाऊँगी तुझको.. विस्तार में
कुछ इस तरह से हूँ.. लाचार मैं
फिर भी कर रही हूँ मैं प्रयत्न
इस प्रश्न ने किया मुझको नियत
कैसे करूँ? अब इसका व्याख्यान
जिससे कदाचित्.. मैं भी.. हूँ अंजान
पर न होना तू.. बिल्कुल भी परेशान
लिखकर जवाब.. कर दूँगी.. तूझको हैरान
धैर्य रखना.. बस तब तलक तू
जब तलक.. कर न लूँ मैं.. खुद से गुफ़्तगू..।
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10 AUG 2021 AT 22:53

जब मुझे तुम्हारी बहुत जरुरत थी
तब तुम्हारें बर्ताव ने कहा की-
"तुम कौन हो?"
जब मुझे समझ आया की
"मैं कौन हुँ"
तब समझ आया की-
"तुम कौन हो।"

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13 NOV 2018 AT 15:56

मैं काैन हूँ


मैं एक....
कागज का पन्ना हूँ,
जिस पर !
कुछ नहीं लिखा..!!







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30 DEC 2018 AT 21:03

क्या वजूद है मेरा
एक नारी हू मै
जिसका दर्द सिर्फ कागजो पे बहुत सुन्दर लिखा जाता है
या
जिसका बलात्कार किया जाता है
या
जिसे पूजा जाता है
या
जिसे दहेज के लिए मार दिया जाता है
समझ नही आता
आखिर
कौन हू मै।


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30 DEC 2018 AT 21:30

इसी प्रश्न के चक्कर में
जन्म मरण के चक्रव्यूह में
आवागमन कर रही
तमस ग्रहीत
मात्र एक प्रकाश पुंज

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