मैं ये खेल नहीं होने दूंगा! हर एक-एक को पथ पे लाऊंगा!
फ़िर से परमात्मा जन्मेंगे, तुम सब का वध तो निश्चित है!
हे मनुष्य जाति के लोग, तुम समझ जाओ इस खेल को!
नहीं रखा इसमें कुछ, तुम क्यों खुद के खून के प्यासे हो?
ना श्रीकृष्ण कभी कुछ कहें हैं!
ना ही मोहम्मद ने कहा कभी कुछ!
ना कह गए ईशा मर्सी कुछ!
ना बुद्ध कभी बांटे हैं!
ना महावीर कभी कुछ कहें हैं!
ना गुरु नानक साहब कभी बांटे है!
सब ने अपने उपदेशों में, मानवता को ही समझाया है!
फ़िर धर्म कहाँ से आया है? फिर धर्म कहाँ से आया है?
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