मैं अद्भुत अविस्मरणीय अद्वितीय हूं।
मैं एक नायाब मकबरा ताजमहल हूं।
मैं असंख्य मजदूरों की अद्भुत कारीगरी हूं।
मैं बेइंतहा मोहब्बत की वो कलाकारी हूं।
जिसे देख कर पूरी दुनिया मेरी दीवानी है।
कहानी मेरी बेहद पुरानी है।
मैं शाहजहां और मुमताज के प्रेम की एक निशानी हूं ।
उनके अनकहे अल्फाजों की एक याद पुरानी हूं।
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मै सोचरा एक दो ताजमहल मै भी बना दू उत्तराखंड मे....
क्या पता ताजमहल देखने के बहाने मुझे भी मेरी मुमताज़ मिल जाय🤣❤️🙈-
मोहब्बत की मीनार ताज का दीदार कराते है,
आइए हमारे यहां मुमताज तुम्हें आगरा घूमाते है।-
उन्होंने कहा.... मोहब्बत दिल से निभाते रहिये ,
महबूब की याद में ताज़महल बनवाते रहिये...
हमने कहा... दिल मिले न मिले हाथ मिलाते रहिये ,
आज के महंगाई में ताजमहल बनवाना बहुत महंगा पड़ेगा , इससे अच्छा हर गली में मुमताज़ बनाते चलिए..
😁😁😁💝💗💗💗💖💖😀😀😀-
जब जब उस माहताब की हल्की सी किरण ताज पर पड़ती है...
ताज की शक्ल में मुमताज नजर आती है...!!-
अहले दिल से कोई शाहकारे अज़ल न बन सका
हुस्न कुछ भी सही इश्क का बदल न बन सका
कितनी मुमताज़े आयी मुमताज़ के बाद
लेकिन आज तक कोई दूसरा ताज़महल ना बन सका।।।-
इश्क़ है तो जीते जी निभाएं क्योंकि मरने के बाद शाहजहाँ ने भी ताजमहल बनवाया था जीसकी दहलीज आज भी मुमताज के पेरों की थीरक के लिए तरस रहीं हैं
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ये कब कहा मैने कि तुम मुझे
अपनी मुमताज मानाे,
या फिर मेरे नाम पर काेई ताज
बना दाे।
तुमसे बस इतनी सी ईल्तिजा है मेरी,
मेरी सरकार🙏
अपन दिल के सफे पर मेरे सिर्फ मेरे
नाम कुछ अल्फाज सजा दाे।-
रिश्तों को वक़्त दो और उनकी क़दर करो,
वरना रिश्ते जिस दिन हाथ से निकल गए ,
उस दिन सिर्फ पछ्ताते ही रह जाओगे,
जैसे शाह जहाँ ने मुमताज की याद में ताजमहल तो बनवाया,
पर ताजमहल दूनिया ने देखा है मुमताज ने नहीं,
और उस काम का क्या फायदा जो समय बीतने के बाद किया जाये...!
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