कर्ण
दान में मागने आया जब इन्द्र छल के कवच-कुंडल के रूप में प्राण था,
बिना कुछ सोचे दिया उसने इन्द्र को दिया दान था,
ऐसे वो सूर्य अंश बना महान था,
रण में युद्ध करने जब सब त्याग गया था,
तो देखा अर्जुन की रक्षा के लिए सामने खुद भगवान था,
अर्जुन के रथ पर बैठा अंजलि का लाल था,
वैसे तो कर्ण शक्तिमान था,
मगर सामने खुदा को देख रखा उनका मान था,
कुंती मां को दिया कर्ण का वचन पांडवो के साथ था,
नहीं तो कब का कर्ण ने किया समाप्त वो रण था,
कोरवों के पक्ष में एक वहीं अंतिम चरण में सबसे बलवान था,
भीम जैसे योद्धा को दिया कर्ण ने दिया जीवन दान था,
वासुदेव और अंजलि का लाल अर्जुन के रथ पर सारे जगत के साथ था,
तभी तो अर्जुन को अभिमान था,
वरना कर्ण के सामने कहा अर्जुन में इतना दम था,
अपने रथ का पहिया निकालने बैठा जब कर्ण था,
तभी अर्जुन में दम था,
नहीं तो कर्ण कहा किसी के कम था।।
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