मदहोशी के आलम मे मैं खोयी कुछ इस तरह...
तू ही तू दिखता अब मुझे हर जगह...-
17 JUN 2019 AT 19:07
18 SEP 2018 AT 12:12
तुम पिलाते रहें,
और हम पीते रहे...
न जाने कब सुबह हो गयी,
और फिर समझे,
रात आंखों की मदहोशी में,
डूबकर ही गुजर गयी...-
5 MAY 2020 AT 15:45
कौन कहता हैं मौत जुदाई हैं
मेरे कंघो पे तेरा सर हैं
तेरी आँखों में फिर से
मदहोशी आई हैं-
23 FEB 2021 AT 20:16
हकीगत से क्यूं ना वाकिब होना चाहता हूं मैं
क्यूं अपने आप को झुटे सपने दिखाता हूं मैं
कुछ ना हासिल होगा ऐ भी जानता हूं मैं,
फिर भी तुमसे उम्मीद क्यूं रखता हूं मैं
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18 SEP 2020 AT 15:08
तुम्हारी आँखे मेरी चाहत में मदहोश नहीं होती अब
पता ही नहीं चला मुझसे नफ़रत हो गई तुम्हें कब-
26 MAY 2020 AT 19:17
तड़प
मदहोशी की हालात में छोड़ जाना
जैसे जलती चिता को पानी देना
झुलसता बदन और चिता से धुआं-
17 SEP 2020 AT 21:17
मदहोशी में देखी जब-जब, तेरी नशीली आँखें
तब-तब दिल करता रहा, के अब शराब छोड़ दूँ-
17 SEP 2020 AT 15:16
मदहोशी का आलम कुछ इस कदर हुआ है,
हमें उनसे प्यार सिर्फ एक नजर में हुआ है।।-