ऐसे मत फेंक पत्थर पानी में,
लहरें डूबा देंगीं तुझको एक दिन,
जैसे डूबता है पत्थर पानी में।।
गोता जब लगाएगा तू पानी में,
मिलेगा क्या?
कंकर , पत्थर , अनंत समंदर,
वक़्त की मेहनत पानी में।।
लहरें हैं बस छण के छलिया,
शांत नैया , चंचल खेवइया।।
मिला है मोती समुंद्र की नाभि में,
ढूंढते हो नहीं,
और खोजते हो हिरे पानी में।।
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