अल्लाह मेहरबान तो,
गधा भी पहलवान,,-
Kash aisa bhi hota,
Tum mere hote,
M tumhari hoti
To ye gam na hota...
Kash aisa bhi hota,
Tum us chand ko dekhte
Or m apne chand ko,
M tumhara hath thamti,
Or tum meri dhadkano ko.......-
काश ऐसा भी होता की मेरी मंज़िल मिल जाती,
अगर मंजिल मिल जाती तो फिर बात ही क्या रह जाती,
काश ऐसा भी होता पूरा सफ़र तय हो जाता,
सफ़र तय हो जाता तो फिर रास्ता ख़तम न हो जाता,
काश ऐसा भी होता के मैं आसमान छू सकती,
आसमान छू सकती तो फिर ज़मीन पर क्यों रहती,
काश ऐसा भी होता के मैं चांद में खुद को देख पाती
खुद को देख पाती तो फिर आयना क्यों निहारती,
काश ऐसा भी होता जो सपना देखा है वो पूरा हो जाता,
पूरा हो जाता तो फिर आंखों को सुकून न आ जाता ।-
ओ...... ओ,
अभी तो बंदा,
ठीक से,
बिगड़ा भी नहीं,
उफ़..............
वो सुधरने के लिए,
जिद्द ही करने लगे।-
अब क्या कहूँ हर फिज़ा बे मज़ा हुई
क्योकि ये ज़िन्दगी ही मेरी सज़ा हुई
यक़ीनन अब तो आदत सी है दर्द की
जैसी हालत अभी है ऐसी कई दफ़ा हुई
वो जो बहुत खूबसूरत सनम थी मेरी
किसी गैर की वो शरीक-ए-हया हुई
वादा मुझसे किया और हो गयी गैर की
मिलेगी तो पूछुंगा ये भी कोई वफ़ा हुई
मुझे अब तुम सब भी भुला दो मेरे यारो
दिन बाक़ी नहीं मेरे आदत-ए-नशा हुई
दुनिया छोड़ने का है ये आख़री फैसला
'साजिद" देखो हर सेय यहाँ बेवफ़ा हुई-
उसमें न कोई,
विराम है,
न विश्राम है।
पसंद आता हूं,
मैं अगर इतना,
तो इसको भी,
एक नाम दो।
अभी बेनाम हूं,
बेनामी सफ़र में,
नाम की तलाश है,
मुझे भी एक नाम दो,
मुझे भी एक नाम दो......!!!-
चले हम तो ,
दिलो से अब ।
ख़ुदा हाफ़िज ,
कहे हम अब ।
मुलाकाते...... ,
समाप्त अब ।
उम्मीदे गुल ,
बुझे दिल अब ।
श़मा जल जल ,
धुँआ हैं अब ।
-
कुछ भी न बदला इन कुछ दिनों में,
न सूरज बदला,न चाँद बदला,
न मौसम बदला,न शाम बदला,
कुछ बदला है!
तो वो तेरे इश्क़ के फशानो में,
मुझसे दूर जाने की तेरी चाहतों में।।-