मानव ही मानवता का जब शत्रु दिखाई देता है
मानव ही दानवता का आज बन बैठा प्रणेता है
कहाँ जटायु अब रावण से युद्ध गगन में करता है
कहाँ लक्ष्मण अनुगामी अब राम के पीछे चलता है
अब न शबरी किसी राम से भेंट की आस लगाती है
अब न कोई शबरी राम को निज झूठे बेर खिलाती है
अब न कोई देवव्रत दृढ़ भीष्म प्रतिज्ञा करता है
मात पिता सेवा अब केवल वृद्धाश्रम ही करता है
आज के भरत अपने कर्तव्य को राजनीति कहते हैं
करते निज दरिद्रों का शोषण कुबेरों के कोष भरते हैं-
लोकतन्त्र के अमोघ मन्त्र से,
जिनको मिली करारी हार।
षड्यंत्रों का सहारा लेकर,
यहाँ वही मचाते हा-हाकार।।
भ्रष्टाचार के असाध्य रोग पर,
झट करना होगा गूढ़ विचार।
इसका भी वैक्सीन बनाकर,
अब करना है पुख़्ता उपचार।।
(पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़ें)-
यहां किसी भी राजनीतिक दल को समाप्त करने का कार्य उचित और संतोषजनक ढंग से किया जाता है...!
~संजय राउत
😜😜-
तथाकथित रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन इसलिए नहीं कर रहे हैं कि वे भाजपा से जुड़ी हैं। कुछ अति प्रगतिशील तो उन्हें आदिवासी भी नहीं मान रहे हैं, अब स्वयं निर्णय कीजिए कि कौन वैचारिक रूप से दिवालिया है..?
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कांग्रेस के उत्तरप्रदेश में वादे देखिए:
1. हम जीते तो वर्ष के 3 गैस सिलेंडर निःशुल्क देंगे
2. लाखों रोजगार देंगे
3. कानून व्यवस्था सुधारेंगे
तो राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब ने क्या पाप किया है?
वैसे मैं निःशुल्क योजनाओं का विरोधी हूँ लेकिन वायदे कुछ इसी प्रकार के किये जा रहे हैं..!-
सत्ता अहंकार में बौरा कर मत बन भगवान
जनता है मालिक तेरी उसकी सेवा करके
जन सेवक बनकर समय से उनके दुख-दर्द ले जान
जिस ताज पर तू इतना अहंकार में इठला रहा है आज
वह जनता की धरोहर है समय रहते जानकर बन जा तू विद्वान
वरना जनता की वोट की ताकत से एक पल मे छिन जायेगा ताज
लोकतंत्र की महान परंपरा है यह तू भी बन जायेगा वोट की ताकत से जनता दौबारा आज।।
दीपक कुमार त्यागी / हस्तक्षेप , @deepakgzb9
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51 वर्षीय राहुल गांधी
को युवा नेता कहा
जा रहा है! समझ में नहीं
आ रहा कि मैं युवा हूँ
या फिर अभी भी
किशोरावस्था में ही हूँ...?— % &-
लड़की हूँ लड़ सकती हूँ
वाली और दादी जैसी
नाक वाली, अभी कहीं
अदृश्य हो गई है क्योंकि
चयनित विरोध जो करना
होता है ना उनको..!-
डिब्बा बंद खाद्य सामग्री पर 5% GST का प्रत्येक विपक्षी दल द्वारा विरोध किया जा रहा है, लेकिन मेरा प्रश्न ये है कि इन दलों के प्रतिनिधियों ने GST परिषद की सभा में इसका विरोध क्यों नहीं किया? इसका
सीधा सा अर्थ है कि खाने के
दाँत दूसरे हैं तो दिखाने के दूसरे..!-