अपने गंवार भाई को,
समझदार कहती है....
मैं जब हार जाता हूं,
वो मुझे हौसला देती है.....
हर अल्फाज को,
मेरे वो समझती है....
उसको पढ मुझे,
बहुत खुशी मिलती...
वो सबसे अलग है,
अपनी मस्ती में रहती है...
गंगा की धारा सी,
वो अविरल बहती है....
उसकी शायरियां,
फूलों सी महकती है....
वो हमेशा खुश रहे,
रब से मेरी यही विनती है...
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