जब समाज में नवरात्रि की उपासना चल रही हो, कवि निराला की लिखी रचना 'प्रियतम' और अधिक प्रासंगिक हो जाती है, जिसमें नारद, भगवान विष्णु से उनके सबसे प्रिय व्यक्ति का नाम पूछते हैं, उत्तर जानकर विस्मित हो जाते हैं, फ़िर आगे क्या होता है!
आइए, अनुशीर्षक में स्वयँ ही पढ़ते हैं
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11 APR 2019 AT 8:30
25 FEB 2021 AT 9:13
न मैं धन चाहूँ, न रतन चाहूँ
तेरे चरणों की धूल मिल जाये
तो मैं तर जाऊँ, हाँ मैं तर जाऊँ
हे राम तर जाऊँ...-
5 MAR 2021 AT 12:46
सोइ जानइ जेहि देहु जनाई। जानत तुम्हहि तुम्हइ होइ जाई॥
[ वही आपको जानता है, जिसे आप जना देते हैं और जानते ही वह आपका ही स्वरूप बन जाता है। ]-
21 JUL 2020 AT 9:25
माँ भद्रकाली के भक्त है। बाबू जी
हल्की सी क्रुरता तो होगी ही।
जय माँ भद्रकाली-
9 AUG 2021 AT 10:39
सब आपकी कृपा है, आज तक जो भी हुआ है,
मेरे हँसते हुए चेहरे की वज़ह बस आपकी दुआ है।-
16 MAY 2020 AT 8:45
तारीफ़ करूँ तो भक्त कहलाऊँ, न करूँ तो चमचा
अपना अपना मफ़लर सबका, अपना अपना गमछा-
23 JUN 2020 AT 5:46
रथ भी उदास था, पथ भी उदास
अब जा कर आयी साँसों में साँस
अनलॉक हो गये प्रभु जगन्नाथ
करना न होगा उन्हें स्वगृहवास
भक्त नहीं तुझे खींचेगी भक्ति
अपरम्पार है तेरी शक्ति
व्यक्त भी तू अव्यक्त भी तू
तू ही जगत और तू ही व्यक्ति-