रोज़-रोज़ मेरे सामने प्याले उठाते हो,
इतनी बेशर्मी कहां से लाते हो।
कभी अपनी थकान तो कभी चिंताओं का वास्ता देकर
मेहनतकश का हक है पीना यह जताते हो ।
इतनी बेशर्मी कहां से लाते हो।
अपने काम की महिमामंडन में, तुम मेरी थकान,
मेरी उम्मीद हर रोज नजरअंदाज कर जाते हो।
इतनी बेशर्मी कहां से लाते हो।
एक प्याले के मोह में तुमको दुनिया बैरी लगती है,
जो रुकने को कह दे उससे दुश्मनी गहरी लगती है।
हर सुबह का एक ही वादा,
कल हो गई थी थोड़ी ज्यादा,
अब से ख्याल करूंगा,अपनी लिमिट ना पार करूंगा।
ढलती शाम के साथ ही सारे वादे भूल जाते हो,
इतनी बेशर्मी कहां से लाते हो।-
28 MAY 2021 AT 5:02
14 AUG 2023 AT 12:07
चंद पलों के लिए शामिल हो जिंदगी में,
ऐसे लुटेरे हर गली- मोहल्ले में घूमते हैं।
करके जिंदगी तबाह किसी का वो,
सरेआम अपनी मस्ती में डूबे रहते हैं।।-
14 MAY 2020 AT 20:35
ये आजादी है या फिर बेशर्मी है.!
लगता है जवानी की ये गर्मी है.!!-
24 MAY 2020 AT 15:24
वस्त्र छीन कर नग्नता दी है,
फिर बेशर्मी तो देखो आँख भी दी है।-
1 MAR 2019 AT 8:15
और
बेशर्मी से ही सही;
हर किसी को follow me कहके देखो।
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क्या पता उसे तुम्हारी बेशर्मी पसंद आ जाये
और फॉलो कर जाए।
😝😝😝😝😝😝😝😝😝😝😝-
12 APR 2021 AT 12:31
जनता ही
फैला रही है
संक्रमण।
बेचारे नेता तो
"लेमिनेशन"
करा के घूम रहे हैं।-
28 FEB 2020 AT 9:29
बड़ा ही गहरा रिश्ता है सियासत से तबाही का...
जिस्म जले या मजहब; घर जले या शहर,
हमेशा कुर्सियां मुस्कुराती हैं।-
14 MAY 2020 AT 21:27
वह सर्द रातों में
मेरे लिए गर्मी है.
वो इन तड़पे आँखों
के लिए नरमी है
वो पास हो तो ऐसा लगे
काहे की दुनिया और काहे की बेसर्मी है-