भगवान बिरसा मुंडा
सुगना पुर्ती पुत्र बने, करमी के थे लाल।
ऐसे बिरसा लाल जन्मे, छोटा नागपुर पठार।।
दशक 75 सदी 18, नवम्बर के माह।
गरीब किसान परिवार बना, बिरसा जी का धाम।।
जनजाति की शान बने, देवत्व का रुप।
स्वतंत्रता जिनका लक्ष्य था, स्वतंत्रता हृदय का मूल।।
अकाल ,कुरीति ,महामारी मे, बिरसा बने सहाय।।
जो पूर्ण मनोयोग से, सेवा धर्म निभाय।।
ऐसे बिरसा देव जू, अमरत्व के पात्र।
जिनके हर एक कर्म से, जनजाति उत्थान।।
ब्रिटिश भी भयभीत रहे, पकङ न पाये हाथ।
तब बिरसा देव को, छल से देते मात।।
बिरसा प्याला विष का पी, परलोक गये सिधार।
1900 की जून मे, हुआ जो दीपक शान्त।।
जय हो बिरसा देव जी, तेरी जय- जयकार।
सदिया याद करेंगी, तुझको तेरे कर्म महान।।-
लफ्ज़ो की कहानी गर साथ न होती।
मेरे वतन की आज ये तस्वीर न होती।
करता हूँ नमन,हर महामानव को।
वरना शायद,आज ये ज़ुबाँ भी न होती।-
जब मिशनरी पहुंचे, तो अफ्रीकियों के पास जमीन थी और मिशनरियों के पास बाइबल थी। उन्होंने हमें आंखें बंद करके प्रार्थना करना सिखाया। जब हमने उन्हें खोला, तो उनके पास जमीन थी और हमारे पास बाइबल थी।
जॉमो केन्याटा, केन्या के भूतपूर्व प्रधानमंत्री-
अन्तिम भाग
तकलीफ इस बात की नहीं कि भारत के स्वंत्रता में योगदान राष्ट्रपिता गांधी जी और चाचा नेहरू का है।
दुःख इस बात का है कि अंग्रेजो के खिलाफ झारखंड और देश के कई पुत्रों और पुत्रियों ने बहुत लंबे समय तक अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ युद्ध में जल जंगल और ज़मीन के लिए बलिदानी दी। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पे मलाई कुछ लोग चट कर गए। भारत वर्ष के बहुत राष्ट्रपिता थे और रहेंगे। ईसाई मशीनरी कल भी देश के हितैषी नहीं थे आज भी नहीं हैं। काश देश के आदिवासी बिरसा जी को सिर्फ भगवान ही नही उनके बताए कदमों पे चलकर ईसाई धर्म परिवर्तन के खिलाफ फिर से उलगुलान (विद्रोह) करते।
जय बिरसा मुंडा-
भगवान बिरसा मुंडा
भाग ७
अपने लोगों में से हीं एक, वीर सिंह
महली ने भगवान बिरसा को पकड़ने
में अंग्रेजों की मदद की जो यह
साबित करता है की जयचंद हर युग
हर काल खंड में मौजूद थे और अंततः
कारागार में हैजा के कारण 9 जून
1900 को उनकी मौत हुई। और एक
वीर झारखण्ड पुत्र भारत मां की गोद
अनन्तकाल काल के लिए विलीन हुए।-
भगवान बिरसा की जीवनी
भाग ४
बिरसा जी की चेतना और समझ को
देखते हुए ईसाइयों ने ब्रिटिश सरकार
के साथ मिलकर भगवान बिरसा को
षड्यंत्र करते हुए दो साल के कारावास
में भेज दिया । बाहर निकल कर
उन्होंने आदिवासियों की चेतना जगाने
का काम किया, और अंग्रेजो और
ईसाइयों के विरुद्ध आदिवासियों
को इकट्ठा करने लगे।-
अपने तीर कमान से
ब्रिटिश हुकूमत
बिरसा ने ऐसे हिलाई थी
अंग्रेजी सरकार की
उलगुलान से छाती दहलाई थी
जल जंगल जमीन के लिए
जो क्रांति की
धरती आबा ने मशाल जलाई
हक की वो लड़ाई
किसी भी सरकार में
आज भी बुझ नहीं पाई।-
हमनें प्रकृति को भुला दिया, अपनी लालसा की ख़ातिर जंगलों को जला दिया..
जल, जंगल ,जमीन की ख़ातिर, अपने अस्तित्व की रक्षा के ख़ातिर जिन्होंने जी जान लगा दिया..
जमींदारों से लेकर अंग्रेजों तक के शासन को कुर्सी सहित हिला दिया...
ऐसे आदिवासियों को मेरा मेरा नमन, जिन्होंने तीर-भालों से जंगलों को बचा लिया...
इन आदिवासियों को अपनी शक्ति से पहचान करने बरसों पहले एक नायक जन्म लिया..
नाम था *बिरसा मुंडा* जिन्होंने अपने हक़ अंग्रेज़ों के साम्राज्य को हिला दिया..
जय बिरसा मुंडा, जय प्रकृति, जय इंसानियत-
भगवान बिरसा मुंडा
भाग ८
अंग्रेजों और ईसाई मिशनरी ने झारखण्ड के जल,जंगल और जमीन को हथियाने के लिए कितने झारखंडी पुत्रों और पुत्रियों को मौत के घाट उतार दिए।
१. तिलका मांझी, बरगद के पेड़ पर फांसी
२. सिद्धू कान्हू, पेड़ पे फांसी
३. बिरसा मुंडा, कारागार में हैजा से मौत
४. बुधु भगत, गोली से छलनी किया गया
५. वीर तेलंगा खड़िया, गोली से छलनी
६. ठाकुर विश्वनाथ शहदेव, पेड़ पर फांसी
७. पांडेय गणपत राय, पेड़ पर फांसी
८. शेख भिखारी, चुटपालू घाटी में फांसी
९. टिकैत उमरांव सिंह, बरगद पेड़ पे फांसी
१०. फूलो झानो की हत्या
११. नीलंबर पीताम्बर को फांसी-
भगवान बिरसा मुंडा
भाग ६
अपने लोगों में से हीं एक, वीर सिंह
महली ने भगवान बिरसा को पकड़ने
में अंग्रेजों कीमदद की और अंततः
कारागार में हैजा के कारण 9 जून
1900 को उनकी मौत हुई।
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