वो वक़्त से ताल मिलाता गया हाथ छुड़ाया फिर गले लगाता गया थी मुश्किलें खड़ी दरवाज़े पर झुकी नज़रों से नज़रे मिलाता गया मुकम्मल थी जज्बात अँधेरो में दीये उम्मीद के दिल में जलाता गया हिम्मत जुटाकर आईने को देखा अकेला पाकर फिर मुस्कुराता गया बेशक दब गई वो चीख शोर में पर शोर भी उसे ज़िंदा बतलाता गया
ये कातिल अदाएं........... है मंद मंद मुस्काए नैना पलके झपकाए....... नैनों से नैन लड़ाए लठ की गांठ खुले.......... छूने को पास बुलाए छूवन तो दूर भली.......... पर दिल ठंडक पाए