याद आते हैं वो बचपन के पल
जब रोते थे कभी गिरने पर,
आँखों में आँशु लिए
माँ- बाप की गोंद पर,
चुप हो जाते थे इक पल में
उन ख़ुशियों को देखकर,
जिन खुशियों से मिट जाते थे
सारे दर्द भी खींचकर,
अब तो सिर्फ रोते हैं
उन चीज़ों को भुलाने के लिए,
जो कभी हुआ करते थे
हमे हँसाने के लिए,
हर वक़्त महसूस होते हैं वो पल
पर अब साथ नही है वो बिता कल।।
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