शिल्पी सक्सेना   (©मधुशिल्पी)
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"जो भी हूं, जैसी भी हूं, खुद के लिए बेमिसाल हूं!"

#मधुशिल्पी
#नज़रियामेरेदिलका
Joined 3 May 2019


"जो भी हूं, जैसी भी हूं, खुद के लिए बेमिसाल हूं!"

#मधुशिल्पी
#नज़रियामेरेदिलका
Joined 3 May 2019

जब जब धराशाई होते हैं
सैंकड़ों उद्दंडी तब तब
नंगाई मचाते हैं
शब्दों से लेकर आचरण तक
इतने गिर जाते हैं
पतन सुनिश्चित है तब
बस वक्त से आस लगाते हैं

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फिर शिकायत करें किस से
अपनों की इस खुशी को अब
हम भला तोड़ें कैसे
वैसे भी खुश रखना किसी को
होता कभी आसान नहीं
मेरी तबाही से खुश हैं अपने
तो हम भी रब से नाराज़ नही

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हर युग में उड़ी जीव ने इश्क़ की उड़ान!
हर युग में है मिला प्रमाण ये होता कितना महान!!

सती ने सतयुग में उड़ी जब अपने इश्क़ की उड़ान!
भोलेनाथ के अपमान पर तज बैठी निज प्राण!!

त्रेता में सीताजी ने उड़ी जब इश्क़ की उड़ान!
रावण भस्म हुआ लंका संग ये है राम की शान!!

द्वापर मे राधा ने उड़ी इश्क़ की उड़ान!!
कृष्ण भी उनको ही पूजें ये है इसका प्रमाण!!

कलियुग में नारी ने उड़ी जब इश्क़ की उड़ान!
रिश्तों की मर्यादा बची न किया इश्क़ बदनाम!!

इश्क़ में जिसने हक जताया छल कपट को गले लगाया!
वो क्या जाने इश्क़ वही है जिसमें हो त्याग सम्मान!!

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कि उसके हर कृत्य का असर
प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से
उसकी भविष्य में आने वाली
पीढ़ियों को भुगतना ही पड़ता है
अतीत में हुई गलतियों का
प्रभाव वर्तमान देख रहा है
फिर भी न जाने क्यों
हर तरफ नफरत का दानव
सशक्त हो रहा है

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सभी सदस्य में
प्रेम अथाह हो तो
वीराने भी
गुलज़ार होते हैं

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जाने कब सुध लेगा रब

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किनारों से दूर जो लहरें निकल आई थीं!
अपनी स्वतंत्रता पर बेतहाशा इतराई थीं!!

बीच समंदर में सामना हुआ जब बवंडर का!
वही लहरें फिर बेसुध हो खौफ से थर्राईं थीं!!

शाखों से जुदा पत्तों के अस्तित्व पर संकट होता है!
कदमों तले मसल कर अंत खौफनाक होता है!!

समझदारी इसी में है परिवार में एकता बनी रहे!
सभ्य समाज हो एकजुट तो अस्तित्व की गरिमा बनी रहे!!

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ये सुकून भरे पल उम्र की ढलान तक हों तो
समझना रब की बड़ी मेहरबानी है हम पर

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बदल गया ज़िन्दगी का रूख सारा
सखियों संग हंसी ठिठोली
पल भर की थी आंख मिचोली
देख रहा था जो दूर से हमको
बन बैठा उसका दिल आवारा
लेकर पहुंचा विवाह प्रस्ताव वो
स्तब्ध परिवार रह गया हमारा
पल भर की खामोशी
फिर खुला खुशियों का पिटारा

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पापा ही तो हैं जो
तृष्णा हमारी मिटाते हैं
उनकी ही छाया में हम
ये जीवन सुखमय बिताते हैं

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