चित्र में प्रस्तुत कवि का नाम बताएँ?
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आज आपसे एक प्रश्न का जवाब चाहिए लेकिन शर्त ये है कि जवाब आपका हो, स्वयं का!
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कोई एक शख्श... क्यूँ इतना प्रिय है
कोई... इतना प्यारा कैसे हो सकता है,
के जीवन-मृत्यु में भेद ना कर पाऊँ
कोई इतना... बेसहारा कैसे हो सकता है,
...नयन जो लाखों... स्वप्न दिखाएं
उनमें सिर्फ़ एक नजारा कैसे हो सकता है
कोई... एक क्यूँ इतना मुझपे हावी है
अपर्याप्त सा... जग यह सारा कैसे हो सकता है,
...कैसे हो सकता है... जो है ग़ैर का
वो फ़िर तुम्हारा... अब कैसे हो सकता है
पऱ हैरान हूँ देख रोज़ छत पे चाँद को
यह दिल... उसकी ज़द में हमारा कैसे हो सकता है,
यूँ तो हार बैठा हूँ... रण में
पऱ सोचूँ... यह प्रेम युद्ध दोबारा कैसे हो सकता है
क्या करूँ... मुसलसल सी इन मेरी चलती साँसों का
बिन सवा... गुजारा कैसे हो सकता हैं!!-
रस्सी की तरह है जीवन
जल गया पर बल रह गया है
बहुत कुछ देख लिया हमने
अभी आने वाला कल रह गया है,
पानी की तरह है जीवन
बह गया बस नल रह गया है
ख़ून की तरह बहा लिया पसीना
अभी मेहनत का फल रह गया है,
प्रश्न की तरह है जीवन
पढ़ लिया बस हल रह गया है
कठिन प्रश्न का उत्तर मिल गया
अब केवल सरल रह गया है,
किसान की तरह है जीवन
मिट्टी तो है बस जल रह गया है
उम्मीद की बारिश ने तो ठग लिया
बस मौसम का छल रह गया है-
कि अब बताए भी तो कैसे?
कि अब छुपाए भी तो कैसे?
ये निगाहें सब कह चुकी है!
वो समझी या नहीं !
पूछ पाए भी तो कैसे?-
और कब तक इंतज़ार करूं उसका,
और उसके जवाब का?
कैसे बताऊं ?
उसे अपने दिल का आलम
जिसकी वजह जवाब ना देना है
आज भी सोते जागते ख्याल कर यादों में
रोने का सिलसिला जारी है
मगर आज उससे इंतज़ार करने की समय सीमा के संबंध में अनिवार्य तौर जवाब चाहता हूं?
उम्मीद है, जवाब मिलेगा
उम्मीदों से भरा इंतज़ार जाया नहीं जाएगा
और हां,दिल में आशा की किरण जागृत होगी।-
जो टूटा ना हो, तो वो दिल कैसा ?
जो उलझी ना हो, तो वो जिंदगी कैसी ?
जो रोया ना तु, तो वो ग़म कैसा ?
जो आंखों में चमक ना हो,
तो वो हंसी कैसी ?
जो ख़्वाब को अपने तु मुक्कमल न कर पाए,
तो वो ख़्वाब कैसा ?-