तुम्हारी बेरूखी ने लाज रख ली
मायखाने की
तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते-
आओ कभी आँखों से पिलाने
कसम से सब पैमाने तोड़ दूँ
तुम शराबी-शराबी करते हो
तेरे नाम पे पी थी तेरे नाम पे छोड़ दूँ-
औरों को भला शिकायतें क्यों न हों मुझसे,
अपने पैमानों पर मैं खुद ही खरा नहीं उतरता।-
न जाने क्यूं मैं रोज तुझे लिख देती हूं ,
अपनी पंक्तियों में किसी बहाने से...
जबकि कि मालूम है मुझे कि तू ,
निकल चुका है मेरी जिंदगी के पैमाने से ...
क्या करूं किधर से ढूंढकर लाऊं मैं तुझको,
आसमां के पार बैठा है तू ?
या तुझे भी फुर्सत नहीं है औरों की तरह ,
अपनी खुशियों के मयखाने से...-
कैसा तुफ़ान है दिल में
ना तो वो जाने ना खुद दिल जाने|
कशमकश से भरा हुआ है मन
अजनबियों के शहर में किसको अपना माने|
जिंदगी के कारवां में हाथ छूट जाते हैं
जब अपने ही हो जाते हैं अपनों से बेगाने|
दिल की कश्ती डूब जाती है गम के सागर में
जब ज़ख्म देकर बनते हैं अपने ही अनजाने|
बेरूखी देखते हैं जब उनकी आँखों में
टूट जाते हैं कई चाहत के पैमाने |.......Nishi.-
वो हुस्न ए खंजर से चीर के दिल तो ले गए मेरा।
पर उनकी जेब खूनी ना हुई दिल छुपाने के बाद।
जान में जान आई जब शाम को घर पर मां आई।
मेरे चेहरे पर मुस्कान आई इक ज़माने के बाद।
दुख तब ना था जब मैं आखिरी सांसे ले रहा था।
दुख तब था जब वो रोए नहीं मेरे मर जाने के बाद।
थोड़ी शर्म करो आखिर पहली मोहब्बत हूं तुम्हारी।
गैर के बिस्तर में भी जाओ मगर मेरे जाने के बाद।
मेरे जनाजे में ना आई तुम बारिश का बहाना देकर।
अब भी कोई बहाना बाकी है इस बहाने के बाद।
यूं जड़ से उखाड़ फैका मेरे इश्क़ - ए - गुलाब को।
गुलाब कब्र पर भी नहीं चढ़ते मुरझा जाने के बाद।
तुम शराबी हो आशू अक्सर मयखाने में रहते हो।
मगर नशा होता है होंठों से पिलाए पैमाने के बाद।-
ना लफ़्ज़ों को तराज़ू ना दर्द को पैमाने,
छोड़ आए हम पीछे अहसास वो पुराने।-
अब तो उतनी भी बाकी नहीं मय-ख़ाने में,
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में
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