राख से क्या ज़िक्र आग का ,
और आग से क्या लगाने वाले का,
फितरत ही कसूरवार हो अगर,
ग़म क्या फिर उजड़ जाने का।-
🙋♀️Keep reading, keep writing, and keep appreciating each othe... read more
ज़िंदगी की ख़्वाहिश में,
ज़िंदा रहने की कोशिश
ना बन जाऊं तो कहना।
मैं तेरी चाहत में,
तेरा इश्क
ना बन जाऊं तो कहना।
दूर हो कर भी तेरी सांसों से गुज़रती रहूं,
मैं रूह तेरे जिस्म की
ना बन जाऊं तो कहना।
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Sounds and letters,
scattered and searching ,
to be a word, a thought.
Eager to be an expression,
looking for a poignant mind,
nerves to shape it on paper.
So restless to be heard,
A poem,
I wish could choose me.-
Descended for sure from the heaven,
Like clouds offering showers of pure rain,
Giving one more prospect to ascend,
For the devils who stray here as in hell..-
जो सहज, सरल, सशक्त हो_
वो कविता है।
जो शब्दों की गागर में,
विचारों का मंथन हो_
वो कविता है।-
आज़ाद ये देश मेरा,
अपनों की ही बदनीयती
की गिरफ्त में है।
आज़ाद ये देश मेरा।-
काश तेरे ज़ुल्म के कुछ तो निशां होते,
जो हम कह नहीं सकते, कभी तो दर्द
बिन कहे वो बयां होते।
होते कुछ गवाह तेरी बदगुमानीयों के,
कुछ तो मेरे भी चश्मदीद-ए-रंज
मेरे सुकून को यहां होते।-
A thorn pricks and distracts for a while from the rose
that has always been there.
Stay focused on good!-
मेरे सफ़र की खुद एक मिसाल हूं मैं।
पानी की बस एक बूंद ना समझ,
बूंद में बसी पूरी कायनात हूं मैं।
मिट्टी से सनी, पेड़ की रगों में खिंची,
तेरे जिस्म की रंगत का हिसाब हूं मैं।
पानी की बस एक बूंद ना समझ,
प्यास से बड़ी प्यास का प्रयास हूं मैं।
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