Deepali   (Deep)
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Joined 23 July 2019


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Joined 23 July 2019
18 SEP 2024 AT 18:22

राख से क्या ज़िक्र आग का ,
और आग से क्या लगाने वाले का,
फितरत ही कसूरवार हो अगर,
ग़म क्या फिर उजड़ जाने का।

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7 SEP 2024 AT 21:16

ज़िंदगी की ख़्वाहिश में,
ज़िंदा रहने की कोशिश
ना बन जाऊं तो कहना।

मैं तेरी चाहत में,
तेरा इश्क
ना बन जाऊं तो कहना।

दूर हो कर भी तेरी सांसों से गुज़रती रहूं,
मैं रूह तेरे जिस्म की
ना बन जाऊं तो कहना।

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6 SEP 2024 AT 22:46

Sounds and letters,
scattered and searching ,
to be a word, a thought.
Eager to be an expression,
looking for a poignant mind,
nerves to shape it on paper.
So restless to be heard,
A poem,
I wish could choose me.

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19 AUG 2024 AT 23:01

Descended for sure from the heaven,
Like clouds offering showers of pure rain,
Giving one more prospect to ascend,
For the devils who stray here as in hell..

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15 AUG 2024 AT 9:12

जो सहज, सरल, सशक्त हो_
वो कविता है।
जो शब्दों की गागर में,
विचारों का मंथन हो_
वो कविता है।

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15 AUG 2024 AT 8:52

आज़ाद ये देश मेरा,
अपनों की ही बदनीयती
की गिरफ्त में है।
आज़ाद ये देश मेरा।

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29 JUL 2024 AT 21:31

All my endeavours
To set me free
Brings me back to your solace.

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29 JUL 2024 AT 17:18

काश तेरे ज़ुल्म के कुछ तो निशां होते,
जो हम कह नहीं सकते, कभी तो दर्द
बिन कहे वो बयां होते।
होते कुछ गवाह तेरी बदगुमानीयों के,
कुछ तो मेरे भी चश्मदीद-ए-रंज
मेरे सुकून को यहां होते।

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25 JUL 2024 AT 10:35

A thorn pricks and distracts for a while from the rose
that has always been there.

Stay focused on good!

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24 JUL 2024 AT 16:42

मेरे सफ़र की खुद एक मिसाल हूं मैं।
पानी की बस एक बूंद ना समझ,
बूंद में बसी पूरी कायनात हूं मैं।
मिट्टी से सनी, पेड़ की‌ रगों में खिंची,
तेरे जिस्म की रंगत का हिसाब हूं मैं।
पानी की बस एक बूंद ना समझ,
प्यास से बड़ी प्यास का प्रयास हूं मैं।

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