हूं वही जो पहली दफा,जो तुमसे मुक्तसर हुऐ
काश तुम समझ लेते हमें, नये की नुमाइश नहीं!
तन्हाइयों में ही हैं सुकुन, ना कोई उम्मीद हो
अब रहने दो, मुलाक़ातो की और फरमाइश नहीं !
पुराने चीज़ों की फ़िक्र उन्हे हैं, जिन्हें कद्र पता हो
सहेजें रहूं उन्हें बेहतर,किसी और की आजमाइश नहीं!
पता हैं हमे, फकत तुम मेरे हर इक दर्द से वाकिफ हो
पर देखो तो इस दवा की कोई.... गुंजाइश नहीं!
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