-
19 APR 2020 AT 15:55
...इस तरह पुरुष ने
स्वयं को समझा एक पूर्ण वाक्य
और स्त्री उसमें पूर्ति हेतु रिक्त स्थान
जो समय-समय पर बदली जाती रही.-
14 JAN 2021 AT 18:32
कहा भयौ, जौ बीछुरे, मो मन तोमन-साथ।
उड़ी जाउ कित हूँ, तऊ गुड़ी उड़ाइक हाथ।।-
27 JAN 2021 AT 21:26
मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ।
जा तन की झाँई परैं स्यामु हरित-दुति होइ।।-
27 JAN 2021 AT 19:36
अपने अंग के जानि कै जोबन-नृपति प्रबीन।
स्तन, मन, नैन, नितंब की बड़ौ इजाफा कीन।।-
23 MAY 2019 AT 20:27
झूठ सारे साथ में मिल कर भी वो ना कर सके
एक सच्चा देखते ही देखते जो कर गया।।-
30 MAY 2019 AT 8:14
न सांसद न विधायक बन पाया।
न किसी काम के लायक बन पाया।।
कलम चला कर कौन सा तीर मारा?
किसकी कहानी का नायक बन पाया??-