अनजान शहर, मुश्किल सी डगर, चली लहर-लहर,
बड़ा नगर-नगर, आफत हर पल, पर चल पग-पग
नहीं सरल-सरल, मुड़ना ना मगर, रूके ना सफर,
ये राह जलन, तू बन जा सहन, थकना है मना पर
धूमिल मंजर, हर कदम-कदम, ये पथ कंकर,
हो जा तू मलंग, कर मनन-मनन, बनके हाँ सहज
हर पहर-पहर, बन तू कहर-कहर,
पीले ये भी जहर, तुझमें शंकर !!
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28 JUL 2018 AT 17:18
4 MAR 2018 AT 12:39
मैंने महफ़िल जाना छोड़ दिया है,..
क्योंकि आजकल कुछ, नया लिख रहा हूँ।-
9 JUN 2020 AT 16:36
♥️ढूंढती है मेरी नजरे जिन्हें अंजानी सी
गलियों में,,,
♥️कमबख्त नादान निगाहों को कहा पता
उनकी आशिया तो मेरे दिल मे बसती हैं ।।....
@Yuvराज भास्कर 🖌️..-
10 OCT 2018 AT 20:32
हर रोज़ कुछ नया, लिखना है मुझे
हर रोज़ कुछ अलग, दिखना है मुझे
हर रोज़ कुछ नया, पढ़ना है मुझे
हर रोज़ कुछ अलग, सीखना है मुझे-
4 APR 2019 AT 11:20
फ़िर मेरी दास्ताँ में किरदार नया है।
ज़्यादा ना रुठिये अभी वो यार नया है।-
12 JUN 2018 AT 0:09
चाहता हूँ कुछ नया लिखना हर रोज़
पर याद आ जाती हैं वो पुरानी कहानियाँ-