अनजान शहर, मुश्किल सी डगर, चली लहर-लहर,
बड़ा नगर-नगर, आफत हर पल, पर चल पग-पग
नहीं सरल-सरल, मुड़ना ना मगर, रूके ना सफर,
ये राह जलन, तू बन जा सहन, थकना है मना पर
धूमिल मंजर, हर कदम-कदम, ये पथ कंकर,
हो जा तू मलंग, कर मनन-मनन, बनके हाँ सहज
हर पहर-पहर, बन तू कहर-कहर,
पीले ये भी जहर, तुझमें शंकर !!
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