घर-आंगन को महकाने आई
नन्हीं-सी एक चिरैया,
कुछ लोगों को रास न आई
आंगन में गूंजी उसकी किलकारियां।
पैदा हुई घर में लड़की
जान ये सबके चेहरे मुरझाए,
मानो घर में बच्चा नहीं
कोई अभिशाप जन्म पाए।
ना जाने सजा किस गुनाहा की
उसने पाई ,
जो पैदा होते ही
छीन ली गयी सांसे उसकी।
आँखें खोलकर इस दुनिया को
देख भी ना पाई ,
उससे पहले ही बंद कर दी
गयी आँखें उसकी ।।-
एक
नन्ही सी चिरईया
आस लगाए बैठी है
डाना चुगाने
पंख लगा
मुँडेरा पर आती है
कुछ देर ठहर
तिनका
अपने मुख में ले जाती है
बच्चे नन्हे भुखे हैं
आस लगाए होगें
माँ चिरईया आती है
नन्ही चिड़िया
जब बहता जल
चोंच में लेती है
आकाश में उड़
क्षितिज को छू जाती है
सफर थमता नहीं
चीड़िया का
होसला फिर उड़ान भरता है
नया दिन आता है
भूख की आस में
नई उड़ान भरता है
-
She is a few days old
And she's having trouble breathing.
She is my sister like daughter
Please pray to God
She quickly be better.-
✍️✨मेरी नन्ही परी✨✍️ (कल्पना पर आधारित)
क्या यही है मेरी नन्ही परी,
जो अब करती है प्यारी बातें। ...✍️✨(१.१)
रह मेरे इर्दगिर्द कुछ ज्यादा ही
कर शब्दों की बरसातें। ...✍️✨(१.२)
सुबह सुबह उठ, सुबह शाम यह
पद प्रक्षालन मेरी करती है। ...✍️✨(२.१)
जो भी मिली तालीम उससे यह
भूल से भी न कभी मुकरती है। ...✍️✨(२.२)
अब तो यह यूँ बदल गई जैसे
परी ही हो कोई सामने में। ...✍️✨(३.१)
परी तो थी ये बचपन से पर
सज धज कर यूँ न आयने में। ...✍️✨(३.२)
इन नयनों को करेगी रौशन ये
दे पानी प्यास बुझाने को। ...✍️✨(४.१)
उम्मीद है मेरी यही बहुत न
शब्द है और सुझाने को। ...✍️✨(४.२)-
💐नन्ही सी नन्दिनी
परी पिता की
माँ की आँचल संगिनी
अभी ज़रा छोटी है
ठहरो कुछ और बढे़गी
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सियासत के काले पन्नों पर फिर से खून की स्याही चलाई है
लापरवाही के इस खेल में नन्ही जानों ने अपनी बली चढा़ई है।-
क्यों बेटी! रोती भी हो तुम? .................✍️विद्यालय, बच्चियाँ एवं शिक्षक (उदास बच्ची)✍️
हमें तो बचपन में शर्म आती थी!
चलो अब अपना आँसू पोंछो,
हमें तो स्कूल बेशर्म बताती थी! ✍️...(१)
आप तो बड़ी अच्छी बच्ची हो न?
थोड़ी नटखट पर सच्ची हो न?
हँसोगी तो हम और माहौल अपना
जगमगाएगा, अब दुबारा न रोना! ✍️...(२)
क्यूँ आपके मुखड़े पे तबस्सुम
देर से न नज़र आज आ रही? ✨
कोई बात है क्या जो कुछ ऐसे
रोकर हमें यूँ अवगत करा रहीं? ✍️...(३)
देखो ज़रा उन मित्रों को!
सब खिलखिलाते कैसे हैं!
माहौल को भर के खुशी से
पिछला गम भुलाते कैसे हैं! ✍️...(४)
वादा करो कि आज के बाद
समस्याओं पर रोना नहीं है।
बताना है सुलझाने! न उलझ यूँ
उलझन में खुद को डुबोना नहीं है। ✍️...(५)
लगता है अब! नन्ही परी को बात समझ
आई है, जो हँसी उनके चेहरे की बताई है।
उम्मीद है एवं रहेगी हे नन्ही शिष्या! क्या
खूब शर्म से शीश झुका उम्मीद जताई है। ✍️...(६)
परवरदिगार को गुस्सा आता है
बच्चों को रोते देखकर, पता होगा?
चलो बेटी अब जाओ, खेलो तो
सही, नहीं तो माहौल खता होगा! ✍️...(७) ✍️...(चित्र देखकर लिखित एक काल्पनिक रचना)👣👣-
सुबक रही है बो नन्हीं जान,
और लोग सर्द का मज़ा ले रहे
बो कह रही , कोई तो समझ लो
मेरे भी हाथ पेर जाम हो रहे-
नन्ही सी बच्ची को भोग वो हताश नहीं होता
इस कदर वासना में लीन वो विश्वास नहीं होता !
यूँ हैवानियत ने इंसान के तन मन को जकड़ा है
तभी इंसान में इंसानियत का प्रकाश नहीं होता !!
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