तु रास रसावे सबको रिझावें....
व्याकुल तेरे दरस को ये बेचारी!
नटखट रंगीला तेरा हैं अंदाज....
कबसे हम तरस रहे देख छटा न्यारी।
रंग बरस रहें, लगा के अंग....
बरसानें में खेलें होली संग राधा प्यारी!
ना तड़पा तु हैं छबीला, जाने है सबकुछ
कुछ रंग इधर बरसा दूर कर अब तड़प हमारी।
मैं बेबस हूं, कन्हाई, मैं हूं लाचारी.....
देख जरा इधर तो कृष्ण मुरारी,मेरे बांके बिहारी!
-