बेदिली को चलो दिलों से निकाला जाए,
फिर किसी ख़ाब को पलकों में संभाला जाए,
कितनी मुर्दादिल हो गई है ज़िन्दगी सबकी
नातवानों की दिल में फ़िक्र को डाला जाए।
आओ अपनी ज़रूरतों को मुख़तसर कर लें
कोई रूखा सही पर उन तक निवाला जाए।
आग नफ़रत की झोपड़ों को जला डालेगी
रख मोहब्बत की शमा दिल तक उजाला जाए।
बन गए हैं क्या पलके हिंदू और मुसलमाँ हम!
अब से बच्चों में सिर्फ़ इंसाँ को ही पाला जाए।
आसमाँ में भी इक सुराख़ हो ही जाएगा
बारहा पत्थर तबीयत से उछाला जाए।-
सदा ऊंचा रहे यह तिरंगा हमारा...,
कई साँसें गईं हैं..
इसकी प्रभुता के लिए
जिसके तले आज महफ़ूज
हमारी हर साँस ठहर जाती है,
हवा से यह तिरंगा नहीं लहराता
इस तिरंगे से इस देश की यह खुशनुमां
हवा लहराती है..!-
बहुत दिखा ली देशभक्ति,चलो अब मुखोटा उतार लें ।
ख़त्म हो गया जश्न-ए-आजादी,चलो प्रोफाइल से Dp उतार लें-
न मंदिर मन को भाता है न मस्जिद हमको प्यारी है,
इस हिन्दोस्तान की मिट्टी में हर साँस बसी हमारी है,
हर साँस न्योछावर मिट्टी पर न आह भरेंगे हम।
हाथ थाम कर चलेंगे हम।।
क्यों कर न समझेंगे हम-तुम जब यह बात जरा-सी है,
इस मिट्टी में रहने वाला हर दिल भारतवासी है,
नफ़रत का अँधड़ आया है साथ रहेंगे हम।
हाथ थाम कर चलेंगे हम।।
कितना भी कोई जोर लगा ले हमको तोड़ नहीं सकता,
देशबंधु दुख में है जब इक, दूजा छोड़ नहीं सकता,
झूठी-सच्ची बातें सुन न और लड़ेंगे हम।
हाथ थाम कर चलेंगे हम।।
संकट के ये झंझावात हमको सच्चाई दिखाते हैं,
जो खुखले हैं भीतर से व्यक्तित्व वे झट गिरजाते हैं,
पर भारत माँ के बच्चे ऐसे न झुकेंगे हम।
हाथ थाम कर चलेंगे हम।।-
झांसी वाली रानी,
वाराणसी के झांसी शहर में जन्म लेने वाली मैं नारी थी,
छेन,छबीली,रूप सुंदर में बहुत न्यारी थी,
अंग्रेजो के चक्के छुड़ा देने वाली मैं आजादी की दीवानी थी,
मै झांसी वाली रानी थी,
चंचल स्वभाव वाली मैं सब को प्यारी थी,
आजादी की चाहत रखने वाली मैं बड़ी मतवाली थी,
मैं झांसी वाली रानी थी,
पापा की दुलारी थी,
सबसे न्यन की चांद सितारा थी,
मैं नारी आजादी चाहने वाली थी,
मैं झांसी वाली रानी थी,
आजादी कितनी प्रिय थी ये सब तो सब को अब दिखलानी थी,
मिट्ठी की कीमत अब हमको चुकानी थी,
लड़की किसी के कम नहीं ये बात भी अब सब को बतलानी थी,
मैं झांसी वाली रानी थी,
देश के लिए अब देनी हमें कुर्बानी थी,
बहुत हुआ अंग्रेजो का शासन अब उनको धूल चटानी थी,
आजादी की भूख अब घर घर में जगानी थी,
खून तो बहता ही अपनों का लेकिन अंग्रजी सता भी तो डोलानी थी,
युद्ध तो लड़ना और शहीद बन कर जाना हमारी निशानी थी,
सर कटा गई मैं मगर झुकी नहीं मैं वो आजादी कि दीवानी थी,
मैं झांसी वाली रानी थी ।।।-
हम साथ मिलकर इतिहास फिर रचायेंगे,
फिर अशफ़ाक और सुभाष कोई आयेंगे।।
साथ ईद को, होली को हम मनायेंगे
फिर अशफ़ाक और सुभाष कोई आयेंगे।।
बहुत हुआ यह धर्म-जातियों में बँट जाना,
यह भाई-भाई का आपस में ही कट जाना,
यही रहा तो ग़ैर फ़ायदा उठायेंगे
फिर अशफ़ाक और सुभाष कोई आयेंगे।।
चलेंगे साथ तो धरा भी काँप जाएगी,
हमारे दुश्मनों को नींद कहाँ आएगी,
हम अपनी एकता से विश्व को हिलाएंगे
फिर अशफ़ाक और सुभाष कोई आयेंगे।।
हमारी एकता से ही है देश सशक्त इतना,
जो बच्चा-बच्चा है हमारा देशभक्त इतना,
लड़ेंगे साथ हरेक जंग जीत जाएंगे
फिर अशफ़ाक और सुभाष कोई आयेंगे।।-
देश भक्ति गीत
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मेरा दिल ये कहता है
तू मेरे दिल में रहता है,
मेरी रग-रग में, मेरी नस-नस में
बनके लहू..... तू बहता है।
मेरे वतन मेरे चमन मेरे वतन
मेरे वतन मेरे चमन मेरे वतन
पूर्ण रूप से अनुशीर्षक में पढ़ें।🙏
...... निशि..🍁🍁
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ईउउउउ छी !!!🙄
करने वाले लोगो को शायद पता नहीं की -
उनकी काया भी इस मिट्टी में मिलने वाली है !!! 🙏-
बड़े ख्वाब देखना " गलत नही हैं' मगर शर्त ये है उसमें देश की तरक्की और लोगों की भलाई शामिल हो"! "☺
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जन गण मन भाषा की जहां सच्चे मन से बात हो
गरीबों की भूखे पेट ना बीते ऐसी जहा दिन रात हो
बच्चियों और महिलाओं का जहां पर सम्मान हो
बेरोजगारी,मंदी, महंगाई का मजदूरों पर ना कोई मार हो
किसानों की आत्महत्या, फसल का सही मूल्य की बात हो
भाषा, धर्म और जात पात की जहां न कोई बात हो
लोकतंत्र में जहां तंत्र के सुधार की जन करता बात हो
सरकार से प्रश्न पूछना जहां देश विरोधी बात ना हो
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