क्षण भर रहने दो स्वयं में निहित
बज्र सी तोड़ती सर्जना से हो गई हूंँ अभीभूत
फूटती चट्टानें व्यथा क्या जाने मन की
मन में न जाने कितनी चट्टानें है फूटती
दिल से पूछो अंधकार के कुएं में
ऐसे समेटा है खुद को
कोई उलीच भी ले पानी
तो भी वो ना पाए मुझको
-
13 APR 2024 AT 21:53
15 JUL 2020 AT 16:47
ध्येयवेड्या माणसाला थोडी
प्रेमवेड्याची साथ मिळावी
ध्येयवेड्यानं थोडं प्रेमवेडं व्हावं
प्रेमवेड्यानं थाेडं ध्येयवेडं व्हावं
आयुष्यातील हे वेडेपण
माञ थोडं जगून पाहावं
-
18 JUN 2022 AT 8:59
क्रांती सत्याची
आमच्या गोंय राज्याक
पोर्तुगेजांच्या तावडींतल्यान मुक्त करपाची
ना तूं ते करचो ,ना हें करचो...
हांव सांगता तें तूं आयक !
हक्क आसा आमचो
आमी स्वतंत्र जगपाचो...
~दि. रोहित-
26 OCT 2019 AT 21:14
आपको और आपके पूरे परिवार को
" डीसीबी बैंक "
पीतमपुरा की तरफ से दिपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
रंजीत पाण्डेय
-
29 DEC 2021 AT 10:33
आओ दिलों की दूरियां मिटा दें कुछ इस तरह..
सीने से लगा लो हमें बांहों में सिमट जाने दो....
खुद पर यकीन है तुम्हें पा कर ही रहेंगे..
तकदीर को छोड़ो हमे खुद को आजमाने दो....
मेरी खुशबू से महके तेरे घर का हर कोना..
अपने आँगन में मुझे पत्तों सा बिखर जाने दो.....-