Radhika Verma   (radha_verma)
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Joined 10 March 2019


Joined 10 March 2019
15 MAY AT 8:26

अविश्वास भरी दृष्टि से दिखेगा तुम्हें समाज
अधमुंँदी आंँखों से भी देखा जाता है ख्वाब 
कर्तव्य की झील में  तैर कर पार करना है तुम्हे संसार 
यही कर्म जीवन का आधार 
बारिश की भीगी मिट्टी सा महकता अन्तर्मन 
दृढ़ संकल्प से ढाल लो अपने सपनों का महल
स्पष्टीकरण क्यों देना किसी को 
जीवन तुम्हारा है इसे सवरना है तुम्हीं को

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13 MAY AT 8:18

हृदय में किंचित नहीं प्रश्नों की छाया 
नूतन प्रतिबिंब आप में ऐसा समाया
 हो भी क्यों ना संग‌ आपने एक दूजे का‌ है जो पाया
सदा बनी रहे हम सभी पर आप दोनों की छत्रछाया 
ईश्वर भी दे रहे आप लोगों को आशीर्वाद
बना रहे सदा आप दोनों का साथ💐

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12 APR AT 20:22

दिल पर मंजीरे की झंकार 
तभी सुनाई देती है जब होता है प्यार

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11 APR AT 8:56

सुकून की फनगुनियाँ जब हृदय में खिलती है 
पोटली मुस्कान की खुद बा खुद भरती है 
जब मिलता है कोई हृदय के बगीचे में 
तो हरापन छा जाता है समूचे में
अपनों का साथ मानो धूप में बरसात 
स्मृतियों की छाया जब मडराती हैं 
हृदय में मोतियों की माला सी गुथ जाती है

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25 MAR AT 23:29

बेबसी की चौखट पर बिखरा मेरे मनोबल का बूटा 
हर बूटे पर कसीदे से कढ़ा है मेरी आजमाइश का खूटा
अंधेरे की साए में दिखती बलखाती नागिन सा नमूना 
जो अभी डस लेगी मेरा वजूद समूचा
हर उगते सूरज के साथ रंगहीन दीवारों पर 
उम्मीदों का मुख लिप पुत जाता है 
सांझ ढलते ढलते वह स्वयं ही विलुप्त हो जाता है 
अंगड़ाईयों की भीगी-भीगी सहानुभूतियों का कोई कहांँ मोहताज है
चांँद की सादगी देखिए वह तो बेपरवाहों का सरताज है

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10 MAR AT 9:37

मेरे भी हाथों बेबसी की पतवार थमी है 
विचारों के मस्तिष्क में खूब उथल-पुथल मची है 
माना विरुद्ध बहती है धार 
पर बहने ना दूंँगी अपना संसार
करघा के तंतुओं पे धागा लपेट रही हूँ
मुट्ठी में तनी हुई वल्गाओ में अपना वर्चस्व ढ़ूढ़ँ रही हूंँ
संकल्प लिया है व्यर्थ नहीं होगा जद्दोजहद झेलना
अब मुझे आता है लहरों से खेलना

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8 MAR AT 22:58

हर रिश्ते की डोर वो 
पर स्वयं ही ढूंढे अपना छोर वो

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23 FEB AT 10:59

अभिव्यक्तियों का सूरज भला कब ढलता है 
वह तो हर आशाओं पर और निखरता है 
मेड़ की लकीर पर खड़ी आंँखें ढूंँढ़तीं अपना ठिकाना 
क्षिति रेखा खोजती जहांँ ठहरे अपना आशियाना 
सूनी आँखें तकती है साथ तुम्हारा 
जाने कब आएगा वो ज़माना
लोग कहते हैं अत्यधिक भावुकता से बचों 
पर अपने दिल का हाल किससे कहो 
किसी की संवेदनाओं का गागर कोई तोड़ देता है
जाने कैसा मधुकोष है स्वयं को निचोड़ देता है

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17 FEB AT 18:47

कांटे की कीटिर हटाने में कुछ तो चुभता है 
घर बनाने में प्रेम से अधिक समर्पण लगता है 
खर्च हो जाती है जिंदगी रिश्तों को जोड़ने में 
पल ना लगता लोग कह देते हैं 
 यह तो फर्ज होता है अपनों का 
उन्हें क्या पता ना जाने 
कितना त्याग छुपा होता है इसमें सपनों का 
देवदूत नहीं आते रिश्ते बचाने 
तुम्हें खुद खेनी पड़ती है नाव उन्हें करीब लाने 

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15 FEB AT 23:01

सूरज ने भी खोला अपना राज़
आज वह कुछ ज्यादा है खास 
दांपत्य जीवन देख आपका 
मौसम में भी गरमाइश आ गई 
कुंवारों ने पता मांँगा किसने आपकी जोड़ी है बनाई
इस रिश्ते में केवल मिठास की अभिलाषा व्यर्थ है 
कुछ इमली का स्वाद चखना भी इसमें सार्थक है 
संग मिल जब जिंदगी का स्वाद चखते हैं 
तब ये रिश्ते और भी निखरते हैं 
पत्तों की हरियाली फूलों की लाली 
सदा महकती रहे आपके जीवन की डाली 
शरद चांँदनी से भरी रहे अजुंरी तेरी
विवाह की वर्षगांठ की बहुत बधाई मेरी प्रिय सहेली

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