Radhika Verma   (radha_verma)
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Joined 10 March 2019


Joined 10 March 2019
29 JUL AT 9:09

पापा के जाने के बाद 
बाजार जाने से डर लगता था 
फिर समझ में आया पूरा बाजार ही पापा थे

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25 JUL AT 8:40

जिंदगी के हर मोड़ पर तुम्हारा साथ चाहना गलत कहांँ है 
बेवजह ख़फ़ा मत हुआ करो 
अब जिंदगी में ख़फ़ा होने की जगह कहांँ है 
बहुत फर्क पड़ता है बेवजह की बातों से
इस उम्र में अब मनाने का हौसला कहाँ‌ है
पहले उम्र होती थी मरने की
अब किसी की जिंदगी का भरोसा कहांँ है

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23 JUL AT 10:40

मेरी सांँसों पे हक तुम्हारा है 
तेरी सांँसों बिन कहांँ गुजारा है
मेरी मुस्कुराहटों की वजह तेरी सांँसें
तमन्ना यही है तुझसे जुड़ जाए मेरी सांँसें

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22 JUL AT 9:43

समस्त जीवन अर्पण बिना अपेक्षा समर्पण

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19 JUL AT 7:52

कुछ अनगढ़ा तराश सकते हैं 
कुछ पाने की प्यास रखते हैं 

हर कुर्सी चौधरी की नही होती 
कुछ खाली कुर्सी स्वाभिमान की आस रखते हैं 

अहंकारियों के अहंकार टूटे हैं दिन के उजाले में 
अमिट कहानियांँ लिखी गई रात के गलिहारे में

एक रास्ता तेरी तरफ़ का भी खुलता है 
बस तूने उससे मुंँह मोड़ लिया 

पिंजरे का पंक्षी भी आजाद हो उड़ सकता है 
बस तूने उड़ने के ललक छोड़ दिया


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18 JUL AT 9:04

वक्त के आईने का तसव्वुर ऐसा होता है 
एक वक्त में दिखने वाला शख्स कभी राजा 
तो वही ,,,,,,,,
कभी फकीर होता है

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17 JUL AT 9:51

मित्रता की मधुरता से दामन भर लेते हैं 
हृदय के बोझिल आवरण को साझा कर लेते हैं 
फिर विचारों का कारवांँ
आकाश में पंख लगा फड़फड़ाने लगता है 
मानो  द्विप में फंसी जीवन की नैया को
किनारे लाने का हौसला भर देता है
जीवन की शाश्वता से भली भांँति परिचित हूँ
हांँ ऊंँचाइयों की गहराइयों को 
नापने की अपेक्षित हूँ

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16 JUL AT 9:29

सागौन के बड़े पत्ते पर बैठी चिड़िया 
ढूंँढ रही है नन्ही जान जीने की डगरिया 
पंख पसार उतरकर लाये दाना 
उसका अपना ही है एक ताना-बाना 
इंद्रधनुषी रंग हमें भी लुभाते हैं 
पर ख्वाबों की दुनिया में रहकर 
भला मंजिल तक कहांँ पहुंँच पाते हैं 
खुद को संघर्ष के पतीले पर चढ़ाना है 
वक्त के कंगूरे को खुद ही सजाना है 
सूनेपन की गहराइयों में 
उजाले की गगरी का स्वाद अनूठा होता है 
हांँ मेहनत का फल मीठा होता है

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15 MAY AT 8:26

अविश्वास भरी दृष्टि से दिखेगा तुम्हें समाज
अधमुंँदी आंँखों से भी देखा जाता है ख्वाब 
कर्तव्य की झील में  तैर कर पार करना है तुम्हे संसार 
यही कर्म जीवन का आधार 
बारिश की भीगी मिट्टी सा महकता अन्तर्मन 
दृढ़ संकल्प से ढाल लो अपने सपनों का महल
स्पष्टीकरण क्यों देना किसी को 
जीवन तुम्हारा है इसे सवरना है तुम्हीं को

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13 MAY AT 8:18

हृदय में किंचित नहीं प्रश्नों की छाया 
नूतन प्रतिबिंब आप में ऐसा समाया
 हो भी क्यों ना संग‌ आपने एक दूजे का‌ है जो पाया
सदा बनी रहे हम सभी पर आप दोनों की छत्रछाया 
ईश्वर भी दे रहे आप लोगों को आशीर्वाद
बना रहे सदा आप दोनों का साथ💐

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