ना पन्नों पर , ना दीवारों पर |
ना समन्दर के किसी किनारों पर |
तेरे चेहरे की खिलखिलाहट
और मैं तेरा राधे-श्याम लगु |
तु आ जा इतने पास मेरे
कि अपने होंठो से तेरे होंठो पर मैं अपना नाम लिखूं |-
कुछ राज़ तुने दफनाएं हैं
कुछ राज़ मैं भी दफनाऊंगा |
पड़ जाएंगी दूरियां नजदीकियों से पहले
कुछ वैसा दर्द मैं भी तुझे दे जाऊंगा |
ना मोहब्बत के शिकवे होंगे
ना मंजिलों की चाहत ,
जुदा हो जाएंगे हम दोनों कुछ ऐसे
लगेगा सब कुछ सपनों कि एक अनोखी बनावट |
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मेरी कविताओं के हर पंक्ति में
मैं शब्द-शब्द तुझे लिखता हूं |
लिखने से पहले
तेरे रोम-रोम को बिखेर शब्दों में ढूंढ़ता हूं |
ना हैं तु क़रीब
बस प्यार के सहारे ही तुझे पूजता हूं |
भूल ना जाऊं तुझे किसी दिन
इसलिए अपनी कविताओं को तेरी निशानी समझ
मैं हर रोज़ कविताएं लिखता हूं |
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उतर जाने दे तेरे प्यार को रूह में
घायल तो दिल आज भी हैं ,
दारारों सी उभरी हैं लकीरें जिस्म पर
क़ातिल तो हर सांस में हैं |
ना होगा तु रिहा
जब तक नफ़रत की आग इस आँख में हैं ,
बूंद-बूंद के लिए तरसी हूं मैं
अब तो तलाश सिर्फ़ अपने आप की हैं |-
"यह आंसु निकलते अच्छे हैं,
बदन की घुटन तो निकलेगी,
पहले तू निकलेगी
फिऱ तेरी याद निकलेगी,
शुक्रगुजार तेरा...
क़भी रूह निकलेगी
तो आज़ाद निकलेगी"-
वो कहती हैं... आदत ही तो हैं
छूट जाएंगी...अगर ऐसा है तो
💖__💜__💖
रब से दुआ है..💞तुम वो लत बनो
जो छुड़ाए ना छूटे💝-
बिन तेरे न हम रह पा रहे है
बिन कहे न वो समझ पा रहे है
हो गये आगे तुम पर
पीछे छोडे तुम्हे न हम आगे बड पा रहे है....-
तुझ्या आठवणी घेवून
नव्याने जगण्याची ती उमेद घेवून
तू ये, माझं ते विसरलेल हसन मला देवून जा,
माझ्या त्या मनातल्या वेड्या
अतुरतेला तुझं अस्तित्व तरी दाखवून जा...
तू ये त्या वाऱ्यासारखा,
आसवांना माझ्या, तुझ्या आठवणींचा शहारा तरी देऊन जा...💓-
जिसे भी देखिये,
हर कोई वक़्त को पकड़ने दौड़ा है,
जो पल निकल गया,
वो ज़िन्दगी ने कहां वापस मोड़ा है,
सुना है..., वो मरने को है,
उसने खाना-पीना सब छोड़ा है,
औऱ ताउम्र यह सोच के लगा रहा,
के जो जोड़ा है...वो थोड़ा है..!-
तू युद्ध कर
माना हालात प्रतिकूल हैं, रास्तों पर बिछे शूल हैं
रिश्तों पे जम गई धूल है
पर तू खुद अपना अवरोध न बन
तू उठ…… खुद अपनी राह बना………………………..
माना सूरज अँधेरे में खो गया है……
पर रात अभी हुई नहीं, यह तो प्रभात की बेला है
तेरे संग है उम्मीदें, किसने कहा तू अकेला है
तू खुद अपना विहान बन, तू खुद अपना विधान बन………………………..
सत्य की जीत हीं तेरा लक्ष्य हो
अपने मन का धीरज, तू कभी न खो
रण छोड़ने वाले होते हैं कायर
तू तो परमवीर है, तू युद्ध कर – तू युद्ध कर………………………..
इस युद्ध भूमि पर, तू अपनी विजयगाथा लिख
जीतकर के ये जंग, तू बन जा वीर अमिट
तू खुद सर्व समर्थ है, वीरता से जीने का हीं कुछ अर्थ है
तू युद्ध कर – बस युद्ध कर……-