यूँ तो गलियों में लाखों लोगों का आना-जाना हैं
प्यारे पलट कर देखें वो जो अपना दीवाना हैं
मुझे आँधी-तूफान दुःख-दर्द का पता नहीं चलता
मेरे चाहने वालों के दिल में मेरा ठिकाना है
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ऐ जिंदगी, तमाम परेशानियाँ, उलझनें खड़ी कर राहों में, रात के अंधेरे में,
आफताब बन रहा हूँ मैं, हरकतें तेरी... उजालों में दिखने वाली नहीं!-
जोरो से बहने लगी है हवाए ,
कही शुरूआत तो नही
अब तुफान
आने की,
ये दिवारे हिलने की आहट है ,
या फिर , आ रही है
अवाज मकान
ढहने की।
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मेरी दीदी बहुत अनोखी है आप
अपनें पलों को ख़ुद ही समझती है आप
दीदी आपकी तो अलग सी पहचान है
छूपे दर्द में भी चेहरे पर मुस्कान हैं
आपके दुःख खुशियों से सब अंजान हैं
समझ जाता हूं मैं बहना आपकों
क्योंकि आप मेरी प्यारी बहन हैं
आप रहो महफूज हर पल यही दुआ करता हूं
आपकी बातों से रोज़ कुछ सीख लिया करता हूं
राधेश्याम,मेरे भोले से यही फरीयाद करता हूं
छुपाओ ना दर्द मेरी बहन क्योंकि
बहना आप पर बहुत विश्वास करता हूं
सुबह की किरण देख लिया करता हूं
कैसी है आप रोज पूछ लिया करता हूं
मेरी बहना आप हर पल में मुस्कुराए
यही प्रार्थना को याद किया करता हूं-
अहसास
ये कैसा है तुफान ये कैसा है रेला
इंसानों की भीड़ में इंसान अकेला |
एक वो भी था दिन मुठ्ठी में थी किस्मत
पर आज तो चौराहे पे बिकती है इज्जत
लुटता है अपनों से अपनों का बसेरा,
इंसानों की भीड़ में इंसान अकेला ....
घर के चराग बुझते हैं बदमस्त हवाओं से
शोले से लपकते हैं इन ठंडी फिजा़ओं से
पागल हैं रातें खूनी है सवेरा ,इंसानों की भीड़ में .....
घर के भेदी अब घर को लूटते हैं
बरसों पुराने रिश्ते पल भर में टूटते हैं
चुपके -चुपके आया दिलों में अंधेरा ,इंसानों की भीड़ में..
ना पहली सी वो होली ना पहली सी दिवाली
हर चेहरे पे बिखरी है सहमी -सहमी उदासी
फीका सा पड़ गया है बहारों का मेला,इंसानों की भीड़ में.
Nishi-
सामने खुशियाँ दस्तक दे रही थी,
पिछे तूफान गुजर रहा था।
काँप रहे हैं हाथ दरवाजा खोलने को,
कहीं फिर से तुफान न आ जाये।-
वो गहमागहमी वो तूफान था
जिंदगी में आने वाला भूचाल था ।
तुमनें जब कहा कि छोड़ दो मुझे
मेरे पास क्या इस सवाल का जवाब था ।
इससे पहले मेरे अंदर का समुंदर शांत था
भावों का उठने वाला ज्वार भाटा अशांत था ।-
Woo..आंधी ki trah aayi...
Aur तुफान ki trah chali.... gyi...
My kuch na kar ska...-